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________________ नक्ता || यत थाजन्मासौ / परार्थव्यसन्युचितक्रियावान् // अदीनमनाः कृतज्ञो / दृढपतिको गंजीरः // 1 // सटीक | इति स विषणुस्तु पुरुषोत्तमता कृतार्थतां न धत्ते, कापि कापि कपटप्रकटनात , बलिबलनादिषु गो. पीषु चेति वृत्तार्थः // 25 // यत्र गरिमोजारो यथा-जितशबुस्त्रियोऽव-नसाध्या व्यंतरैश्च याः // ताश्च सज्जीकृताः खोहि-वारिणा शांतिसृरिणा // 1 // तथाहि-पुरा शौर्य पुरस्थाने / जित. शत्रुरचन्नृपः / / नीतिकदो गुजावीर्य-पराजितपराहवः // 1 // दासप्ततिरछंभा-प्रनानासुरसुरश्रियां / पुरजिदररूपाणां / तस्यांतःपुरयोषितां // 2 // थाक्रीडे क्रीमितुं पुष्पा-पीडक्रीमाचले ययुः / / मेरोखिोर्वशीमुख्याः / सर्वास्ताः शर्वरीशमाः // 3 // छंलं लब्ध्वा कुद्रकृत-प्रेस्ता यस्तात्मचेतनाः सौधमानिन्यिरे राज्ञा / यानारूढा गतप्रत्नाः॥ 4 // दुष्टव्यंतरदोषेण / सकला विकलांगकाः॥ निश्वेष्टाः समकालं ता / श्रासन पांचालिका श्व // 5 // त्वरितं त्वरितं राजा-चीकरफुप्रतिक्रियाः॥ वैद्यानां मांत्रिकाणां च / तांत्रिकाणां विपश्चितां // 6 // बौछा थाकारिताः शैवाः / सांख्या वैशेषि. कास्तथा // वैदिका विदुसश्चक्रुः / स्वस्वाम्नायप्रकाशनं // 7 // न जातः कोऽपि तैः सवै-रुपकारो नृपौकसि // नाग्यनाशे यथारब्धो / व्यवसायोऽफलो नृणां // 7 // मास्येकस्मिन् व्यतिक्रांते / शांः ||
SR No.600426
Book TitleBhaktamar Stotra Satikam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMantungasuri, Gunakarsuri
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1918
Total Pages126
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size9 MB
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