________________ अम्बड चरित्रम् प्रथम आदेशः अनीदृशं करिष्यन्ति तस्य न स्यात्प्रतिकिया। अहो विलोक्यते कालो मौनं सर्वार्थसाधनम् // 34 // यतः-मुश्च 2 पतत्येको मा मुश्च पतितं द्वयम् / तावुभौ पतितौ दृष्ट्वा मौनं सर्वार्थसाधनम् // 35 // अम्बडः प्राह निःशङ्क स्त्रियः प्रकृतिकातराः। अहो तासां किमातङ्कः कि करिष्यन्ति सत्त्विनाम् // 36 // अन्योऽभाषत हे पान्थ समायातोऽसि यद्यपि / स्वयं ज्ञास्यसि द्रम्माणां भेदयिष्यन्ति गौरिव // 37 // k एवं तेन कथां कुर्वन् पश्यत्येकां स्त्रियं पथि। व्रजन्ती राजचिह्नश्च गाढं तां वीक्ष्य विस्मितः // 38 // यतः-दीसह विविहचरीअं जाणिजइ सजणदुजणविसेसो / अप्पाणं च कलिजइ हीडीजिइ तेण पुहवीए // 36 // वर्णिनी तुरगारूढा वर्ण्यमाना च बन्दिभिः / छत्रचामरसंयुक्ता स्वामिन्येषा पुरस्य किम् ? // 40 // जलपुट्रलकं बद्ध्वा शीर्षे कृत्वा वजन्त्यपि / काचित् वृद्धा तदा ज्ञात्वा तं विस्मितमजल्पयत् // 41 // अरे वैदेशिकागच्छ नरं किं पृच्छसि स्फुटम् / समेहि मामके गेहे यत्सर्वं कथयाम्यहम् // 42 // तदाम्बडो भयभ्रान्तो धृत्वा सत्त्वं तया समम् / गतोऽपश्यत्तदावासं सुरावासमिवोन्नतम् // 43 // एका स्त्री मण्डपे तस्य सुरूपा नवयौवना / सूयबिम्बचन्द्रबिम्ब-राहुमङ्गलनामभिः // 44 // X कुर्वन्ती कन्दुकैः क्रीडां दृष्ट्वा सोऽपि चमत्कृतः। तदा जानन महाश्चर्य यावतिं प्रष्टुमिच्छति // 15 // // 5 //