________________ श्रुतेन बुद्धि विनयेन दक्षता, प्रियेण नारी सलिलेन निम्नगा // निशा शंशांकेन धृतिः समाधिना, नयेन चालंक्रियते नरेन्द्रता // 67 // प्रासादे पूर्णतां याते चतुझं सदयः स च // स्थापितश्रीमहापर्युषणापर्ववरानथ // 68|| गुरून् श्रीकालिकाचार्यान् प्रतिष्ठानपुरान्मुदा // आकार्य महता तत्र विस्तरेण जिनालये // 69 // चरमस्य महावीरप्रभोस्तीर्थकरस्य च // बिंबस्य हि प्रतिष्ठाया विधि हर्षादचीकरत् ॥७०॥युग्मम्॥ वत्सोऽथ सावलिंगां तां प्रियां लीलावती च सः॥ द्रुतमाकारयामास हर्षेण तत्पितुर्ग्रहात् // 7 // प्रियान्यां विलसन्नेवं जिनोपज्ञागमे रतः // स्वराज्यं पालयामास सुरेन्द्र इव कीर्तिमान् // 72 // मंत्रिपदं वणिक्पुत्रे पुरोहितपदं द्विजे // क्षत्रियाय च सैन्यस्य ह्याधिपत्यं समर्पितम् // 73 // a यः सीधं सुहृदं कृत्वा कोटिल्ये न प्रवर्तते / स परां भूति मानोति वंच्यते न कथंचन // 4 // सावलिंगा महाराज्ञी कियत्कालादनंतरम् // पुत्रमजीजनन्नाम्ना वीरभानुं महाबलम् // 75 // लीलावत्यास्तु पुत्रोऽजूद वनवीरो महामतिः // क्रमेण तावभूतां द्वौ द्वासप्ततिकलाश्रयो // 76 // | षट्त्रिंशद्विधदंडाद्यायुधादिषु वरौ मतौ // प्रतिभाशालिनी जातौ स्वल्पकालेन दक्षिणौ // 77 //