________________ * सूरचंद्र // 13 // Asar7 तो परम्परया चन्द्रनरेन्द्रालयमायतुः / न्यषिध्येतां मुहुर्बद्वयुद्धावाधोरणैबलात् // 58 // अर्थः-अनुक्रमे तेओ बन्ने चंद्रराजाने घेर आव्या, त्यां वारंवार लडीमरता एवा तेओ बन्नेने महावतो बहु मुश्केलीथी मूकावता हता. / / 58 // ___ कदाचिदाययौ तत्र केवलालोकभासुरः। मुनिः सुदर्शनो नाम जिनदर्शनभास्करः // 59 // अर्थः-(एवामा) एक दिवसे त्यां केवलज्ञानरूपी प्रकाशथी तेजस्वी थयेला, जैनशासनमा सूर्यसरखा सुदर्शननामना मुनिराज पधार्या. मनोवृत्तीहन्भक्तिगहनाः सह नागरैः / वनं ययौ मुनि नन्तुकामः कामयिता भुवः // 6 // अर्थः- (ते वखते ) ते राजा भक्तिथी गंभीर मनोवृत्तिने धारण करतोथको नागरिकोनी साथे ते मुनिराजने वांदवानी | इच्छाथी ते वनमा गयो. // 6 // मुनि नत्वाथ तत्वार्थवेदिनं मेदिनीपतिः / धर्मोपदेशपीयूषपूरं पातुमुपाविशत् // 61 // - अर्थ:-पछी तात्विक अर्थाने जाणनारा एवा ते मुनिने नमीने ते चंद्रराजा (तेमनी) धर्गदेशनारूपी अभृतनो समूह पीवाने वेठा. व्याख्यान्तेऽथ नृपोऽपृच्छत्केबली च न्यवेदयत् / तयोरणयोर्वेरकारण दूरदारुणम् // 62 // अर्थः-पछी धर्मदेशनाने अंते राजाए पूछनाथी केवली भगवाने ते बन्ने हाथीभो वच्चेनुं अति भयंकर वैरनु कारण जणावी दीधु. तचरित्रासंवेगो भवोदेगेन बेगतः / प्रवत्राज स राजन्यः कृत्वा राजानमात्मजम् / / 63 // अर्थ:-तेओना वृत्तांतथी थयेलो छे वैराग्य जेने, एवा ते चंदराजाए एकदम संसारथी कंटाळीने, पोताना पुत्रने राजा -%ASHRAM- AREGAR