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________________ सूरचंद्र // 9 // GAGAN AGAROO सेनासु तासु चरटो झल्झासु करटो यथा / कथंचिज्जीवनोपायकणिकामप्यनाप्नुवन् // 38 // . न शौर्य वहिलेशोऽपि मय्यस्तीति दिशन्निव / सनिःश्वासमुखन्यस्ततृणश्चन्द्राग्रतोऽलुठत् // 39 // | अर्थ:-शंझावायुथी घेरायेला कागडानिपेठे, ते सैन्योथी घेरायेलो ते कुंभोचोर, कोइ पण रीते जीववाना उपायनो लेश पण नही मळवाथी, // 38 // हवे मारामां शूरवीरता रूपी अग्निनो लेश पण नथी, एम जाणे जणावतो होय नही! तेम निःश्वाससहित | मुखुमां घास राखीने ते चंद्रकुमारपासे लोटवा लाग्यो. // 39 // प्रसन्नहृदयः स्फीतदयस्तदयमुद्यशाः / हृष्यद्रोमालिमालिंगत्कुंभमुत्थाप्य भूपभूः॥४०॥ __ अर्थ:-तेथी आनंदित हृदयवाळो, विस्तीर्ण दयावाळो, तथा फेलावो पामता यशवाळो ते चंद्रराजकुमार, हर्षित रोमश्रेणि| वाला ते कुंभाने उठाडीने आलिंगन देवा लाग्यो. // 40 // तदादि स्फुरदादित्यमहसं बहुसंमदः / चन्द्रं नृपोऽधिकं मेने पुत्रतोऽपि खतोऽपि च / / 41 / / अर्थ:-त्यारथी मांडीने अत्यंतसुखी थयेलो ते राजा जाज्वल्यमान मूर्ख सरखा तेजवाला ते चंद्रकुमारने पुत्रथी तथा पोताथी पण अधिक मानवा लाग्यो. // 40 // चन्द्राग्रभूरतृप्तस्तु योवराज्यश्रियापि सः / राज्याय सूरः क्रुरात्मा दधो पितृवधे धियम् // 41 // अर्थ:-हवे क्रूर हृदयवाळो चंद्रनो म्होटो भाइ ते सूरकुमार, युवराजनी पदवीथी पण असंतुष्ट थइने राज्य मेळववा माटे |(पोताना) पिताने मारी नाखवानी बुद्धि धरवा लोग्यो. // 41 //
SR No.600421
Book TitleSurchandra Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhamansuri
PublisherHiralal Hansraj Pandit
Publication Year1935
Total Pages18
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size1 MB
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