________________ चरित्रं // 10 // सूरचंद्र निशीथे निशितास्त्रोधो दूरं वश्चितयामिकः / उन्मार्गः सौघमाविष्टः कालादिष्टः फणीव सः // 42 // अर्थ:-सजेलां शस्त्रोना समूहवाळो ते मुरकुमार पहेरेगीरोने अत्यंत ठगीने, यमराजाए हुकम करेला सर्पनीपेठे मध्यरात्रीए || छींडीने मार्गे राजमहेलमा दाखल थयो. // 42 // ततः पराइमुखं सुप्तं तीव्रणास्त्रेण भूपतिम् / स जघान धनं लोभः शोभते मूलमंहसाम् / / 43 // अर्थ:-पछी उलटे मुखे सुतेला राजाने तेणे तीक्षणशस्त्रथी घायल कर्यो, अति लोभ ए पापोर्नु मूळ छे.॥४३॥ ततस्त्रसन्नसो देव्या दृष्टः संमुखसुप्तथा / घात्येष याति घात्येष यातीति पूत्कृतो रवः॥४४॥ अर्थः-पछी (त्यांथी) नाशता एवा ते मूरकुमारने सामे मूतेली राणीए जोयो, ( अने तेथी) आ खूनी नाशी जाय छे, आ| खूनी नाशी जाय छे, एम तेणीए पोकार को. // 44 // __ धावत्सु द्वारपालेषु भूपालेनेत्यभाषि च / कश्वायं घातक इति ज्ञातव्यो मैष हन्यताम् // 45 // ___ अर्थ:-पछी पहेरेगीरो ज्यारे तेने पकडवाने दोडवो लाग्या, त्यारे राजाए का के आ खूनी कोण छे ? तेने ओळखवो छे, माटे हाल तेने मारशो नही. // 46 // तनुज मनुजस्वामी तं विज्ञाय विकारिणं / यूथाद्विनष्टं दासेरमिव देशान्निरासगत् // 47 // अर्थः-पछी ते पुत्रने खूनी जाणीने राजाए उद्धत ययेला उंटने जेम टोळांमांथी कहाडी मेले, तेम तेने देशमाथी कहाडी मेल्यो. त्वरवतुरगारूद्वैः स क्रमेलकमेलकैः / प्रधानपुंभिर्भूचंद्रः सुतं चन्द्रमथाहयत् // 48 / / HEAGSileCHARGE AARA%ARIKA