________________ মিনু // 1 // ACEAECASHA RA // श्रीजिनाय नमः // // अथ श्रीसुमित्राश्राविकाचरित्रं प्रारभ्यते // .. गुजराती भाषांतर कर्ता-पंडित श्रावक हीरालाल हंसराज (जामनगरवाळा) (द्वितीयावृत्तिः) (मूळकर्ता-वर्धमानसूरि) दानं चतुर्विधाहारवस्त्रपात्रोकसां मुनौ / शिक्षावतं तदतिथिसंविभागं तुरीयकम् // 1 // अ० चा प्रकारना आहार, वस्त्र, पात्र तथा उपाश्रयो- मुनिओने जे दान आप, तेने चोधुं अतिथिसंविभागनामनुं शिक्षा-18 व्रत कहेलुं छे. // 1 // एकावयवतोऽप्येतत्सेवितं श्रद्धयाधिकम् / सुमित्राया इवोन्नत्यै जायते द्वादशं व्रतम् // 2 // अ०-एक देशथी पण अधिकपणे श्रद्धापूर्वक सेवेलं आ बारमुं व्रत सुमित्रानीपेठे उन्नतिमाटे थाय छे. // 2 // तद्यथा पृथिवीभूषा श्रीवसन्तपुराभिधम् / पुरन्दरपुरश्रीणां विवों वर्तते पुरम् // 3 // अ०-ते सुमित्रानुं उदाहरण नीचेमुजब छे-पृथ्वीने शोभावनारुं, इन्द्रनी नगरीनी लक्ष्मीना घेरावा सरखं श्रीवसंतपुरनामनु नगर छे. SAIBAROBARA B