________________ सुमित्रा // 11 // // 11 // % A4GRAPPEC अ०-आ जंगलमां हमणाज धनसार्थवाह मने मळ्या छे, अने हुं काशी जाउं छु, अने तुं पण हवे तारे पोताने घेर जा? // 51 // इत्युक्त्वा प्रेषितो विप्रस्त्रपमाणस्तदा ययौ। सहैव सार्थवाहेन सोऽपि वाणारसीमगात् // 52 // अ०-एम कहीने मोकलेलो ते ब्राह्मण ते समये लज्जातुर थयोथको (त्यांथी) चाल्यो गयो, अने से जिनदास पण ते सार्थवाहनी साथे वाणारसी नगरीमा गयो. // 52 / / यावल्लक्ष्मीधरो याति वसन्तपुरपत्तनं / जिनदासवियोगेन तावदातोऽस्ति भूपतिः // 53 // अ०-हवे ते लक्ष्मीधर जेवामां बसंतपुर नगरमा पहोंच्यो, एवामां राजा ते जिनदासना वियोगथी पीडित थयेलो हतो. // 53 // इति लक्ष्मीधरो मत्वा गत्वा क्षितिपतेः पुरः / स्वरूपं जिनदासस्य मन्त्रिणश्चन्यवेदयत् // 54 // अ०-लक्ष्मीधरे ते वृत्तांत सांभळीने राजा पासे जइ जिनदासनी तथा मंत्रीनी ते हकीकत जाहेर करी. / / 54 // श्रुत्वेति भूभुजा मन्त्रि कारागारे नियन्त्रितः / पश्यतो जिनदासस्य हन्तव्योऽयमिति कुधा // 55 // अ०-ते हकीकत सांभळीने जिनदासना देखतांज आने मारवो छे, एवा क्रोधथी राजाए तेने छेदखानामां पूर्यो. // 55 // अथ जडालकरभारूढो वीरद्वयान्वितः। जगाम जिनदासाय काशी गुप्तो नृपः स्वयम् // 56 // / अ०-पछी ते राजा पोते वेगवाला उटपर चडीने वे सुभटो सहित गुप्त रीते काशी नगरीमा जिनदास पासे गयो. // 56 //