________________ M बपन्तीप्रकरणकृतिः / SAHARASHIONARSA अणुसद्विमिक्खुलहिं मिटुं अह देइ कुलवई तीए / पियविरहदावदाहो जीए सहसा पसममेइ // 257 // रायकुलयासि वच्छे ! न तए जाणिजए कहं एयं / चंदस्स कलाहाणी जह वुड्डी होइ तहा चेव // 258 // भूरिगुणाणं तुम्हारिसीण जं एस दइवसुन्नारो। पुत्ति ! पयच्छइ तावं तं गुरुकल्लाणकञ्जण // 259 // रोद्दो च्चिय एस भवो भणिजए सबसत्थकुसलेहि / धम्मज्झाणं झायसु जेण सिवो होइ सो सोमो // 260 // परिहरसु पुत्ति ! सोयं होइ कुलीणाण जेण मज्झम्मि / अणुरत्तपत्तजोगो निच्चमसोयाण भवरन्ने // 261 // कयमुकयसयसहाओ तणुअंगोवंगलक्खणगुणेणं / तुह भत्तावि य जीवइ नजइ सविसेससिरिलाहो // 262 // जीवंतेणं चिय धम्मकोडिदिढबंधबंधुरत्तेण / इहपरलोयपसिद्धी सवं किजिस्सए तेण // 263 / / इचाइ देसणाए सम्म पडिबोहिऊण कुलवइणा / किच्छेण पाणवित्तिं फलेहिं काराविया तत्तो / / 264 // इयऽणंगसुंदरी सा भमरीण सिरीण वासभवणेसु / कुलवइपयपउमेसु लीणा सिरिभायणं होही / / 265 / / ___अह सो वि वीरभद्दो जलहिं पडिकूलयं पडिहणतं / भंगेहि अविगणंतो फलयकरो साहसुल्लसिओ / / 266 // दिढवाहुदंडपडिहयफुरंततरवारिघायसंघाओ / लीलारइनामेणं दिट्ठो विजाहरिंदेण // 267 // लावन्नपुनदेहं अक्खोहं आवयाहि उयहिं व / तं सिरिभायणमेसो तो गिण्हइ पाणिकमलेण // 268 // वेयगिरिविरिंदो नेऊण गयणवल्लहे नयरे / साणंदमणेणुत्ता नियरिणी रयणमंजूसा / / 269 / / एसो खु पिए पुत्तो पुवजिअपुन्नपगरिसवसेण / अम्हं निरवच्चाणं सच्चं कुलदेवयादिनो / / 270 // इय सोच्चा सा दटुं तं पुत्तं दिवलक्खणावरियं / रामं व वीरचरियं हवइ सतोसा सपुत्तेव // 271 // कीरंतेहिं सुमणोभिरामसम्माणदाणदामेहि / न थिरं कहमवि जायइ जह कविचवलं मणो तस्स // 272 / / तह लीलारइविजाहरेण कुलपत्युपदेशेन शान्ता प्राणवृत्ति कारिता वीरभद्रश्च विद्याधरेण गगनवल्लमे पुरे नीतः। AHARA