________________ समुद्रो श्री जयन्तीप्रकरणवृतिः / ROCK अनहा चेव / विहिविलसियाण जेणं विसमगई होइ दुल्लक्खा // 224 // इय वीरभद्दमणिए अवस्सभवियव्वयाणुभावेण / घणदुद्दिणदुप्पिच्छं सहसा गयणंगणं जायं // 225 // वीईणं वुड्डीए समीरलहरीण पाडिसिद्धिए / मजंति कूवखंभा विहडंति मणोरहारंभा // 226 // गअंति घणा धणियं सद्धि रयणायरेण अणवस्य / जमजीहसच्छहाओ फुरंति सोयामणिमाला / / 227 // चिंतइ य वीरभद्दो धीरमणो दूरचत्तमइमोहो / ज ठाणमावयाणं जलही सत्ताहिओ जइवि // 228 / / पंचपरमेटिनवकारमंतसज्झाणजाणमाहप्पं / लद्धण पिए संपइ जइ कहविहु जीवियं धरिमो // 229 // धीरतं कायई पिए ! समुद्दम्मि लद्धलक्खेहि / जं धीरधीवराणं अप्पवसा अणिमिसा हुंति / / 230 / इय वीरभद्दवयणं सोउं साणंगसुंदरी सहसा / नवकारसरणसरणं निययं हिययं धरइ धीरा // 231 // भणइ सा पिय ! किजउ पच्चक्खाणं इमम्मि वसणम्मि / सायारं पायारं पुरम्मि सगुणाण पउराण // 232 // एवं जपताणं ताणं हियए दि8 कुणंताणं / जिणवयण गुरुफलयं मयणरईणं व निद्धाणं // 233 / / दुईतदइवविलसियकरिसुंडादंडचंडकल्लोला / भंजंति जाणवतं सुदिदं सुकयाण ठाणपि // 234 / / निवडइ भवम्मि कुडिले विहिम्मि सचं महावया निच्चं / किंत समुद्दे ताण सहसा फलयागमा जाया // 235 // अहऽणंगसुंदरीए सुथिराए सलिलसित्तवच्छम्मि / अक्खयफलए कमसो संपत्ते तीरदेसम्मि // 236 // चंदणवणगहणंतरपरिसप्पिरपवणछिक्कदेहाए / मुच्छाविगमुम्मीलियनयणाए चिंतियं एयं // 237 // को एसो अह देसो ? का वत्था ? कत्थ वल्लहो वीरो। कह परीयणो न दीसइ ? सीसइ कस्स व दुहं एयं // 238 // धणपरियणसयणाणं न तहा विरहो महं दुहं देइ / जइ वीरमद्द. पिययमविओयदहणो दहइ देहं / / 239 / / एए य मज्झ पाणा अञ्जवि बजप्पवायदुस्सहमि / पाणपियविप्पयोगे कहं न त्पातेन भन्ने पोतेऽनङ्ग सुन्दर्याः तीरदेशप्राप्तिः। // 84 // MARKS ॐॐॐ आ॥८४॥