________________ // 77 // CA3%E0 ते / हियजणयपआमरण / जे वामइ गंधेणवि सहसाह पंचबाणो शबरजुषाणो जहि / सोवि // 109 // तारुनेऽरने कह कुसलं ? सह करणतेणसेणाए / परिवसह पंचबाणो शबरजुवाणो जहिं वच्छ ! // 11 // वृद्धशंखजुवणवणंमि ! पुत्तय मयणहलं होइ निच्छयमएण / जं वामइ गंधेणवि सहसा गुरुवयणपीयूसं // 111 // सो होइ वियारो ताय श्रेष्ठिना जुल्वाणजोवणे विसर्दृते / हियजणयपओगेणं रक्खेयवो पयत्तेण // 112 / / पियराण परिहारं काऊणं बच्छ देसयालीए / पुत्रत्वेन एगागी गच्छंतो पाविजइ दोसआलीए // 113 // नियजणयट्ठाणरसिया मूलाउ चिय खमाइसंलीणा। तुम्हारिसा सुपत्ता रक्षितः सुसाहिणो हुति फलवंता // 114 // सोमोवि कलामंडलरमणीओ पावतावपडिवक्खो। वियरन्तो देसेसु दीसइ चंदो कलं- स्वगृहे किल्लो / / 115 / / सूरोऽवि दक्षिणोत्तरायणाई वच्छ ! पिच्छसु कुणंतो। सिसिरे पहीणतेओ गिम्हे संतावओ लोए // 116 // || वीरभद्रः। ते सुयणा विरल च्चिय अज्जवपरिणामललियमज्झत्था / जेसु गुणाण कणाण व कुणंति अग्धं महग्घविया // 117 // पइगाम चिय धणियं खलसंगो होइ सबदेसेसु / पयमलणं उप्पिणणं अवियप्पं होइ धन्नाणं / / 118 // अहवा // जं पुत्त ! नीइनिस्सेससस्थवित्थारनायपरमत्थो / एगागीवि पउत्थो तं मन्ने कारणं अन्नं // 119 // अट्टाणं अम्हाणं वुड्डाणं पुत्तलाहसड्डाणं / कुलदेवयाविइन्नो तुमंसि कुलभूसणो पुत्तो // 120 / / अजं तुह आगमणे इहावणे वच्छ ! कयचमकारो / सो जाओ ववहारो जो सनखं लच्छीपइसारो // 121 // तो वीरभद्दपुत्तय ! भदं तुह होउ मह गिहागमणे / कमलुल्लासेणिमिणा सहसा नं सूरउग्गमणो // 122 // इय संखसिडिसुवयणपीयूसरसेण पल्लविजंतो। नेहमे सच्छाओ सो वीरो निव्वुयसरीरो // 123 / / एत्थंतरंमि केणवि अवसरपाढेण मंगलमुहेण / दुविहं संखनिनायं सोचा पढियं सुगंभीरं // 124 // वसुपूरपूरियासो सूरो देसंतरेसु वियरंतो / उच्चपयं सुपयावं मज्झत्थो संपयं पत्तो // 125 // तो सेठी पुण जंपइ पुत्तय ! नियमंदिरम्मि आगच्छ / / // 77 // % AA%