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________________ // 75 // त अह भणइ जिणवरिंदो तिहुयणसाहारणेण सद्देण / एसो हु वीरभद्दो गुणरयणमहोयही ताव // 77 / / किंतु इसो पत्रेणं [& | तद्गुणविचिंतियं तेण तामलित्तीए / पुरिसो अदिट्ठदेसो कुवनिलुक्को व मंडूको // 78 // अन्नन्नदेसनिम्मलकलोवलंमेण सोम- प्रदर्शनपूमत्तिधरो। रिसो सुवित्तपुचो न मयकलंक वहद हियए // 79 // देसंतरावलोयणकोऊहलतरलमाणसो एसो / पियरपियदं- |र्वकं भगसणाणं अणिवेइयऽकअपरमत्थो // 80 // वेसविवज्जासेणं ओसहिगुलियापयोगमाहप्पो / निवसिय अंधारपडो सणियंवतोक्तं सिंरयणीए नीहरिओ // 81 // चउसुवि दिसासु देसंतरेसु ठाणतरेसु गच्छंतो। सम्माणिजइ एसो सुय व बंधु व निद्ध व // 8 // | हलद्वीगमसहावसहसंसयतिमिरहरो मिहिरमंडलसरिच्छो / वसुपूरपूरियासो लहइ य अग्धंजली एसो // 83 // देवगुरूण संथवविहीए नं तस्य / कवं पसनमइसुदिढं / पकुणतेणं दिजइ विबुहाण अच्छरियं // 84 / / समिहियसरलएणं कोडिगुणारोहबंधुरतरेण / चाएण तेण जिप्पइ महत्थलोओ वि लीलाए / 85 // अइलडहरुवलक्षणमुत्तीए दिट्ठीगोयरगयाए / सो नजइ विबुहेहि गुणस्यणमहोयही एस // 86 // सिढि ! न तस्स विएसो विजाण विलासमंदिरं जं सो / तह न परो लोओवि हु वियड्डपियवाइणो तस्स // 87 || जम्मंतरसमुवज्जियउजियसुकयाणुभावओ तस्स / संपन्जमाणभोगोवभोगसोक्खाई सम्वत्थ / / 88 / / सच्चं सुहासियाई वयणाई तस्स जे जणे दिति / सवणंजलिपीयाई अणिमिसनयणतणं सहसा / / 89 // अह एस वीरभद्दो विउले वेलाउलम्मि संपत्तो / पिच्छइ य जाणवत्तं पगुणीजंतं पयत्तेण // 90 // पुच्छह य कत्थ दीवे बोहित्थो एस बच्चही अहुणा ? / अपाहियं नरेहिं दीववरे सिंहले सोम ! // 91 // तो एसो परिचितइ सिंहलदिवम्मि दिश्वरयणाई। | हंतित्ति जलहितरणे अहमवि तो साहसं काहं // 92 / / पुनाणुबंधिपुनोदएण जो होइ साहसावासो। तस्साणदियहियया 13 C
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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