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________________ भी जयन्ती प्रकरणपतिः / // 74 // प्पिया वहइ नम्मका सलिलं / सच्चं नीससइ जयो को धूयाए जापाए // 61 // दुहियाई इंति तीए अम्मे पियराई तेण * लग्ने कृते दुहियत्ति / भण्णा परतंताए जम्मो जं सीए नेयहो // 12 // किंतु इमाए एसो अणुरतो जेष सभ्यासहिओ / मह स्वपुरीसायरस्स तणया ता लच्छी चेव नायवा // 63 // ता दायबाध्वस्सं एसा एयस्स वीरभद्दस्स / अणुरूवगुणाणं चिय 18 गमनं, तद्जोगो कल्लापमाषहद // 64 // ता सयणसउणसम्मथसुलग्गतिहिकपरिक्वगहजोगे। भुवणच्छेरयभूयं पाणिग्गवणं हवइ | गुप्तपरताणं // 65 // कावयदिणाण अंते पेमाबंधे सयम्मि संकंते / पियदसणाए सद्धिं गच्छइ सो तामलित्तीए / / 66 // तो अम्हे देशगमने चिट्ठामो हिट्ठा तुट्ठा सपरियणा सामि ! / लीलाए कजसिद्धी जेण महस्थावि संजाया // 67 / / एसो पुण दुल्ललिओ दइवो च श्रुते दंती कहपि न क्खलिओ। सोस्थियजणसोक्खाणं रुक्खाणं भंजणुज्जुत्तो॥ 68 // जस्स पयावो अहिओ सहिओ तेएण सागरविप्फुरतेण / तस्सवि रविणो अहवा उदयस्थमणाई जायंति // 69 // पुरिसेण आगएणं अहऽनया ताव तामलित्तीए / श्रेष्ठिना पच्चइयेणं कहियं अम्हाणं तुद्वचित्ताणं // 70 // केणावि निमित्तेणं कत्थवि पत्तो न नजए सम्मं / पियदंसणं सुत्तं सो मोतूण पृष्टो भगवीरभदोसि // 71 // पिपदंसणाए पकओ दिट्ठो कि ? देव ! अविणओ तेण / अविणीयमग्गलग्गा विरुयच्चिय साधया हुति वान् / // 72 // स्यणायरोवि जलही सरस्सईसु खियेइ जह खारं / वारंवारं तह पहु ! किं एसो वीरभद्दोवि ? // 73 // अन्नं च गओ कन्नं रवि व परिहीणतेयमाहप्पो ! उत्सरपयवीदरीभूओ अहवावि किं देव ? // 74 / दोसाणं लहुयत्त दिन्तो दिवसप्पयावतेयाणं / गरुयत्तं सूरो इव पच्छाहुत्तं कया एहि ? // 75 // इच्चाइयं उयंत कहेह मह सामि ! वीरभदस्स / संसयसायरतरणे तुहवाणी चेव दिवतरी // 76 / / CCCCCES
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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