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________________ E // 67 // +4 | गुरुकुलवासे वसतां मुनीनां महालाभाः। + + + तवोविहाणं गुरुण संमाणं / जं जीवदयावियलं अहलं तं कासकुसुमं व" // 979 // आरंभनियत्ताणं उवउत्ताणं मुणीण गुत्ताणं / संपुनमभयदाण होइ पुणो भवविरत्ताणं // 980 // एयस्स चेव वित्थररुवाइं महब्बयाई मूलगुणा / उत्तरगुणपरिवाडी वुत्ता तस्सेव रक्खदा / / 981 / / उक्तं च-"एक चिय इत्थ वयं निद्दिटुं जिणवरेहिं सबहिं / पाणाहवायविरमणमवसेसा तस्स रक्खवा" // 982 / / मेहकुमार मुणीसर कयवइजीवाण दिनभयदाणा / जइ एरिसी समिद्धी सिद्धीवि हु तुज्झ संनिहिया / / 983 // तो दिट्ठपच्चएणं तुमए सुहुमाइसवजीवाणं / संपुन्नमभयदाणं दायत्वं सबहा होइ / / 984 // तं पुण गुरुकुलवासे नाणाइयरयणरोहणगिरिन्दे / निवसंताण थिराणं खमाधराणं सया होइ // 985 / / अन्नं च-" नाणस्स होइ भागी थिरयरओ देसणे चरित्ते य / धन्ना आवकहाए गुरुकुलवासं न मुंचति // 986 // तथा-जह सायरंमि मीणा संघातं सायरस्स असहंता / निति तओ सुहकामा निग्गयमित्ता विणस्संति / / 987 // एवं गच्छसमुद्दे सारणमाईहिं चोइया सन्ता। निति तओ सुहकामा निग्गयमित्ता बिणस्संति // 988 // करुणारामे गुरुकुलवासे लब्भंति सुमणसफलाई / दीसंति य तावहरा बहुपत्तपरिग्गहा गच्छा // 989 / / मूलगुणाण पसरो सुगुणट्ठाणोवलंभसुलहओ य / तुम्हारिसवच्छाणं साहासु य खंधवित्थारो // 990 // जोइजति य इह वालयावि अइसुरहिवुड्डमूलगुणा / सुहबीयपूरया इंदियाण विविहाई चरियाई // 991 // कल्लाणगिरिनिविद्वे गुरुकुलवासंमि नंदणवणंमि / मेह! तए वसियत्वं तत्तो विबुहप्पहाणेण // 992 / / एवं महुरगिराए मेहमुर्णिदो जिणेण पनविओ / संजाओ साणंदो अमियरसेणं जहा न्हविओ // 993 // उल्लसियवयणकमलो अकलुससच्छासओ सरयसरिसो / अणुसद्विमिच्छुलट्ठि मेहमुणी धारए महुरां // 994 // हरिसंसुसलिलसेओल्लसंतवियसंतबहलपुलयंगो। मेहमुणिंदो वीरं ++ 96RECACARLOCACHAND +5+4+ // 67 //
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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