________________ बयन्तीप्रकरणवृतिः / पूर्वभवे स्वाचरितशशकदयां ने करुणाए पनि ज्ञात्वा गे पयासिहाए सुहाए जूहेणं तइए थंडिल्लए तुमं मेह / अह उक्खित्ते चरणे तुमए कंडूविणोयत्थं // 962 / / आरनियअहिं बलिट्ठसत्तेहिं तासिओ ससओ / सरणागओ व सहसा चरणट्ठाणे अह पइट्ठो // 963 // तो करुणारससायर तिपायट्ठाणेण गरुयगत्तेण / दिढसत्तेणं तुमए अभयं दितेण ससयस्स / / 964 // मणुयाउयं निबद्धं पुनं पुनाणुबंधि भोगफलं / तस्साणुभावओ च्चिय सेणियधारिणिसुओ तंसि / / 965 // तीए च्चिय करुणाए परित्तओ तुज्झ एस संसारो / एगावयारदेवो होहिसि तं जेण मुणिसीह ! // 966 // पुवभवसंकहाए सुहाए से तस्स मेहसाहुस्स | मुणितिवपायघट्टणपरितावो दूरमवसरिओ // 967 // पुत्वभवे कुमुयवणे पयासिए जिणवरिंदचंदेण / मेहजलासयदरे अह पसरइ परिमलुग्गारो // 968 // पुत्वभवाण कहाए मिहिरस्स व मेहसाहुमणकमले। चारित्तमोहणीयं कम्मं तुहिणं व परिगलियं // 969 // अणुहूयं नियचरियं सुमरइ जं भगवया पवित्थरियं / तो ईहापोएहिं जाईसरणेण मेहमुणी // 970 // आणंदवाहसलिलप्पवाहनिम्मिन्जमाणमुहकमलो / बंदित्ता वीरजिणं कयंजली विन्नवह मेहो॥९७१।। तिहुअणदिणमणिमंडल कारुनमहन्नवेण जं तुमए / वागरियं मह चरियं सत्वं तं नाह! संभरियं // 972 // पुणरवि वीरजिणिदो सोवालंभं भणेइ मेहमुणिं / संवेयच्यमंजरिवियासमहुमाससारिच्छं // 973 // तिरियतणेवि जइ गुरुसिक्खाविरहेवि ताण जीवाण / दाणाणं चूडामणिमाणं दिन्नं अभयदाणं // 974 // तो धीर ! तुम अहुणा बहुमनसि मेह किमिह गिहवासं 1 / लद्धेवि हु चउरंगे चिंतारयणं व दुल्लंभे // 975 // छज्जीवनिकायाणं आरंभो निच्चमेव गिहवासे / आरंमे जीवदया न होइ सुद्धा जओ भणियं // 976 // "आरंमे नत्थि दया महिलासंगेण नासए बभं / संकाए संमत्तं पडजा गठिगहणेणं" // 977 // जीवदयाविरहे पुण धम्मरहस्सं न होइ सुविसुद्धं / दाणेणुग्गतवेणवि कायकिलिसेण जं मणियं // 978 // "नाणं दाणं झाणं जातो मेघमुनेरपूर्व वीर्योल्लासः। SAXCE% 64645 // 66 //