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________________ 15 I है भत्तीए बंदित्ता मेहकुमारो मुणी समासीणो / आलविओ य जिणेणं सुहाभिसित्ताए वाणीए // 947 // सोम ! तुम रयणीए वसहिदुवारंमि भूमिसयणीए / अइसकडंमि वुच्छो मुणीण पयघट्टणादुत्थो // 948 // मेहमुर्णिद तुहंगे साहुपएहिं न एस पडिघाओ / अंतरमलहरणेहिं पएहिं (जलैः) तं किंतु सुण्हाओ // 949 // किंच-इमं सरीरं अन्नो जीवुत्ति एव कयबुद्धी। दुक्खपरिक्कसकरं छिंद ममत्तं सरीराओ // 950 // पुत्वभवे करुणाए सरणागयवच्छल्लेण धीरत्तं / मेह तए जं धरियं तमिह कहं सोम ! परिहरियं ? // 951 // जिणवयणामयसित्तो पञ्चागयचेयणुल्लसियचित्तो / रोमंचंचिय- | गत्तो मेहमुणी पुच्छए तत्तो // 952 // केवलनाणदिवायर उज्जोइयसयलतिहुयणाभोय / पुवभवे मह जाओ कहमिव धीरत्तणाभोओ // 953 // अह भणइ जिणवरिंदो चंदो इव सयलजणमणाणंदो / मेहमुणि! पुत्वजम्मवइयरमेयं सुणसु सम्म // 954 // तहाहि विंझगिरिसंनिहाणे करिणीजहंमि पंचसयमाणे / मेरुप्पहामिहाणो जूहबई आसि तं गरुओ // 955 // अह एगयाए / हा गिम्हे वणदवमवलोइऊण अइरुदं / पुवभवं निझायसि जाइसरणेण तं मेह! / / 956 / / जह वेयड्डसमीवे अहं सुमेरुप्पहो पुरा आसं। सत्तसयजूहनाहो गयराओ अरुणवनोवि // 957 // वुत्ते गिम्हदवे पसरते दवदवस्स पवणेण / तन्हाछुहाकिलंतो तुच्छसरे हंकले (चिक्खले) खुत्तो // 958 // तत्तोऽवरेण करिणा तरुणेणं पुबवेरिणा निहओ। अदृदुहट्टो मरिउं | उप्पन्नो तत्थ जूहबई / / 959 // तो सुमरिय पुत्वभवो दावोवद्दवनिवारणकएण / तं अतिणवल्लिरुक्खं थंडिल्लाणं तयं कुणसि // 960 // गिम्हमि तओ काले पसरते दारुणमि दामि / जीवाणं करुणाए पढम बीअं च चइऊण // 961 // चिट्ठसि सह | पूर्वजन्मकथितहस्तिवृत्तान्तेन भगवता स्थिरीकृतो मुनिः / %%A4%
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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