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________________ श्री जयन्तीप्रकरणवृतिः / // 64 // व विविभागअभिमासे थे Re-CREASOKES जीवाणं दुक्खददोली // 930 // गयराओवि पमत्तो जीवो सत्थाभिधायदुक्खाणि / लहइ गुरुओवि किं पुण भन्नइ ? अन्ना- द्वारपार्थाणसत्ताण / / 931 // तेलुकमाणणिजा सासयसुहहेउकम्मभूमिवरा / कल्लाणअत्थजणणी खमा सया वच्छ धरियव्वा / / 932 / / गतसंस्तासेसो अमियाहारो होह दुजीहोवि जं खमाधारो। ईसरहिययाहारो बहुगुणगुरुसीसवित्थारो // 933 // अहिलसियमणो रककष्टरहपरंपराए सुनिच्चलक्खाए / वोढवो य महत्बयभारो मुणिवसह लीलाए / 934 // गुरुकुलवासे गिरिकंदरंमि मुणिसीह पई. मनुभूष वसंतेण / जेयत्वा लीलाए उवसग्गपरीसहा कलहा // 935 // इय विविहभंगपयभरवेला सुपसायसायरुल्लसिया / गुणरयणाई मेघमुनेः 4| वियरइ मेहमुर्णिदस्स जिणसिक्खा // 936 // एयाए सिक्खाए पमायविसवेगअमियधाराए / कन्नंजलिपीयाएवि अण-|| परिणाम मिसनयणा खणं मणुया // 937 // मेहकुमारमुर्णिदो साणंदो जिणविइनसिक्खाए / अब्भासे थेराणं अह गच्छइ जिण- परिवर्तनमा वराणाए // 938 // दट्टणं चरियाई मेहकुमारस्स साहसवराई / सेणियधारिणिपमुहो जहागयं पडिगओ लोगो / / 939 // अह जहजेहूं द्वाणग्गहणे संथारस्स रयणीए / सेहस्सवि तो द्वाणं वसहिदुवारंमि मेहस्स // 940 // साहूण पविसं ताणं निताणं पायघडणदुहेण / निद्दासुहं न लद्धं मेहकुमारेण रयणीए // 941 / / गीयाणवि थविराणवि कह मोहो? मेहसेहवच्छल्ले। सुझंतु च्चिय थेरा करेऽक्खमालं धरइ अहवा / / 942 / / अब्भाहओ दुहेणं पच्छिमरयणीए चिंतए मेहो / मह गेहे चिय गमणं जुत्तं अचिरुग्गए सूरे // 943 // जं एए मुणिवसहा गउरवमकरिसु मह गिहावासे / वयभारे अइगुरुए चोजं लहुयत्तणं जायं / / 944 // इय मेहे कसिणमुहे कलुसीकयसंवरेण पसरती / उक्कलियाओ वियरइ अणवरयं नित्रया चिंता PJ // 945 // कह उग्गयंमि सूरे मेहे काउं व सुपरिवेससिरिं / सो पत्तो उजाणे जयगुरुजिणवीरओसरणे // 946 // Vi||64 // SCANCIENCATE)
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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