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________________ // 63 // ॐGALACHAL | मिअसि संजमसिरिपबयारूढो / / 915 // वीरजिणो पुणरुत्तं मेहकुमारं पवनययभारं / उक्वूहह वियरंतो सिक्खं गंभीरवयणेहिं मेघाने // 916 / / मइधन्नाणं मत्थयचूडामणिविन्भमो सितं मेह / जेण पइन्नासारो सहलीकयसयलसंसारो // 917 // छजीव- भगवत्प्रदनिकायाणं जइवि तुम मेह होसि अविरोही / तहवि हु संवेगरसा रक्खिजसु कंदलुल्लासं // 918 // कोवदवपसमणेणं | तः शिक्षोअञ्जवविज्जुप्पइन्नमयगिरिणा / सञ्चं किजउ तुमए नियनामं मेह! जिअलोए // 919 // मेह तए कायव्वो तह पयपसरो पदेशः। दिसासु जह किती। केयईवणं व विहसइ दुरुजियपरिमलुग्गारो // 920 // पइविसयं सोयाणं सरसपवित्ताण तह तए मेह ! / किजउ पुट्ठी जह स्यकलुसाण न होइ उम्मग्गो // 921 // तं संवरं करिजसु अजवबीएण जेण जाएण / मायावंसकुडंगी मूलाओ खिजए मेह // 922 // पइवरिसं जइयव्वं तुमए तह मेह पैसस्यिदएण / पुनंकुरोदएणं न लोहजाईवि जहा होजा // 923 // सुयसत्थसलिलपुन मेह तुमं माणसं तहा कुणसु / गुरुसेवालसकलुसं हविज न जहावि गंभीरं // // 924 // सबसमिईसु धीरो रायरिसी तं सि नायपरमत्थो / जीवाण रक्खणेणं परलोयमसंसयं जयसि // 925 // कलहो | जत्थ न हवउ न य पुरगामागरेसु ममकारो / जत्थ न दुग्गाभिगमो न य भंडारो न कुठारो // 926 // जत्थ न विग्गहपोसो गुत्तीसु न जत्थ जीववहबंधो / न करग्गहो न विसयउवयारलेसोवि जत्थरिथ // 927 // निजिणिय मोहरायं चितं चउरंगदलसमिद्धीए / खत्तियवर ! लोगुत्तरसंजमरज तुमं पत्तो / / 928 // तं पुण दुप्परियल्लं पमत्तचित्ताण कीवजीवाण / जेणंतरंगरिऊणो छलेसि णो उज्जया निच्चं // 929 / / एयंमि पमत्ताणं रायसिरी सा पयट्टए अन्ना। जीए अणुरत्ताणं 1 श्रुतानां पक्षे प्रवाहानां / 2 प्रसृतदयेन पक्षे प्रसृतोदकेन / 3 गुरुसेवायामाळसकलुषं / 4 दुराकर्ष / // 63 //
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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