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________________ जयन्तीप्रकरणवृतिः / श्रेणिकधारिणीविज्ञप्त्या जिनेन दीक्षितो मेषकुमार // 62 // ARRERAKAR सरिसाइं // 898 // उइंडपुंडरीयं पिच्छह एयस्स मो वयंसीओ / कम्मपरिणामरायं गिजिमयं जमिह पिसुणेइ // 899 // सरइंदुकुंदसुंदरचामरजुयलच्छलेण पयडाइं / पुरओ कयाई इमिणा बाणाई धम्मसुकाई // 900 // सिवियाए चलिआए तारो किंकिणिगणाण झंकारो / नेहनिगडाण भंजणरवो व उवमिजद सहीओ! // 901 // जो पुण तूरनिनाओ सो नाओ होउ पियवयंसीओ / भवसिंधुमहणपसरियगहीरघोसु व अम्हेहिं // 902 // इय निक्खमिउं मेहे रायगिहे रायमग्गमोइन्ने / पासायसिहरसंहियवियतरुणीण संलावो // 9.3 // एवं संसिजंतो संतो दंतोवि दाणपसरेण | गयराओ इव कुमरो पत्तो जिणरायओसरणे // 904 // सिबियाओ ओरुहिउं पंचविहाभिगमप्रवयं अंतो / परिसित्तु जिणं वीरं वंदइ तिपयाहिणीकाउं // 905 // सह सेमिएण तत्तो वीरं विन्नबइ धारिणी देवी। अम्हाण एस तणओ मेहो निहिकसबस्सं // 906 // तुम्हत्रयणामएणं अवगयरूवाइविसयविसमुच्छो / पायपएसे तुम्हं संजमरजं अहिलसेइ // 907 // संसारजलहितरणे अम्हंपि य जेण जाणवत्तं व / सीसत्ताए तुम्हं वियरामो तेण नियपुत्तं // 908 // अह मेहकुमारोवि य सम्मं वेरग्गमग्गमवइन्नो / विणयपणयंगलट्ठी कयंजली विन्नवह वीरं // 909 / / गुणमणिरोहणगिरिवर मह तह पायप्पसंगरंगस्स / दिजउ संजमरयणं भवदोगच्च हरइ जमिह // 910 // मन्नइ जिणेण तत्तो सत्ताहिय सबसत्तहियहेउं। गिन्हसु एयं विहिणा देवाणवि दुल्लहं रयणं // 911 // एवं जिणेण वुत्तो मेहो पुवोत्तरंमि दिसिमाए / गंतूण पंचमुट्ठि कुणइ महप्पा सिरोलोयं / / 912 // हंसपडएण केसे नजइ | मुत्ताहलेहिं पूयंती / अंसूणि मुंचमाणी पडियच्छइ धारिणी देवी // 913 // गुणसायरजिणवीरस्संते गंतूण मेहकुमरोवि / जीवाण जीवणीयं गिन्हा संजमभरं तत्तो // 914 // तो भयवयावि मणिओ मेहो लोयाण निव्वुई दितो / अहुणा तं पण SAHASSACREKHE // 62 //
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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