SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 73
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री प्रवज्यो त्सव. जयन्ती प्रकरणवृतिः / वर्णनम् / // 6 // // 865 // इय मेहविवेएणं दिणयरकरपसरसरिसमावेणं / पियराण मोहतिमिरं सहसच्चिय दूरमवहरियं // 866 / / अणुकूलपडिकूलवयणेहि जा न कंपए मेहो / पवणेहि जहा मेरू तो पियराइं पयपंति // 867 / / एगदिवसंपि पुत्तय ! इच्छामो वच्छलाई तुह अम्हे / रजाभिसेयलच्छीविच्छई पिच्छिउं वच्छ // 868 // मोणेण ठिए कुमरंमि रयणकणयाइकलसपन्तीहि / रायाभिसेयमहिमं कुणंति महया पबंधेण // 869 // सिंगारियमि लंकारियंमि सिंहासणे निसन्नमि / सह परियणेण सेणियनिवेण जोकारिए कुमरे / / 870 // उम्मुक्ककरपसरो पयडपयावोवि सोममुत्तिधरो / अह तत्थ पुरे जाओ मेहकुमारो | महाराओ // 871 // कारागारविसोहणअमारिघोसणपुरस्सरं तत्तो। निक्खमणत्थं विहिणा अभिसेयमहूसवे विहिए // 872 // निजियअंतरकरणो फुरतमणिमउडकुंडलाहरणो। लेसाहि विसुझंतो भवस्स मज्झं च बुझंतो // 873 // सियकुसुमदामधारो कुंदुज्जलदेवदूससिंगारो / विलुलियमुत्ताहारो मेहकुमारो गुणाहारो / / 874 // जणणिजणएहि भन्नइ अहुणा तुह पुत्त किं ? पयच्छामो। मेहेणुत्वं कुत्तियआवणओ पत्तस्यहरणे // 875 // सिग्धं आणावेउं पत्तेयं ताणि लक्खमूल्लाणि / वियरंति केसकप्पणनहकम्मकरस्स पुण लक्खं // 876 // मंगलतूररवेणं तत्तो गयणग्गलग्गसिहराए / मणिखंडमंडिआए कंचणकलसोवसोहाए // 877 // सिवियाए रयणमए विउले सिंहासणे निसनस्स / मेहस्स हुंति पुरओ परमा अढ मंगलया // 878 // पत्ताइपडलगकरा दक्षिणबाहुंमि धारिणी देवी / मंगलमुहला वामे अनाओ ठंति देवीओ // 879 // एगा य पिडओ पुण रूवबई छत्तधारिणी तरुणी। उत्तरओ दक्खिणओ सियचामरपाणिकमलाओ / / 880 // उक्खित्ता तो सिबिया मणहरनेवत्थरूवरम्मेहिं / उक्टिकलयलेणं सहस्ससंखेहिं पुरिसेहिं / / 881 / / // 6 //
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy