SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 70
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 49 // 57 // द्देशनां जीवाण नाणलच्छी करेइ हियएण परिरंभ // 816 // जिणचंदाओ धम्मोवएसखीरत्रवो समुल्लसिओ। संवेगरसुल्लासं मोति- भगवयफलय करइ चेव // 817 // परलोयसाहणुञ्जयवीरजिणिंदेण धम्मगुणकहणे / मोहमहामहिवइणो दलंमि पवियभिओ खोहो / / 818 // वीरजिणधम्मकहणे गजियगंमीरधीरवाणीए / सच्चं मेहकुमारो पमोयवाहबुधाराहिं // 819 // सिंचंतो खेत श्रुत्वा तलं पुलयकयंबाण जणियउल्लासो / वीरजिणपायपायवसंथवमेवं करइ नमिरो // 820 // तुह पयजुयले लद्धे कप्पडुमविन्ममे प्रव्रज्यामए देव ! / भवदारिदं दरे वोलीणं दिनदुहलक्खं // 821 // तुह तइलुकदिवायर दोसोदयदलणपायसंसग्गे / किं चुजं ? ग्रहणेच्छा। जं बोहो राजीवाणं व जीवाणं // 822 // मुणिमंडलगुरुतारयपयासकरतावहरणललियंगो / लोगुत्तरस्सरूवो तुमं सि जिणनाह जयचक्खू / / 823 // विसयामिसगिद्धीए विवेयदिद्विविणासबुद्धीए / संसारंमि सुसाणे तुह वयणा दूरमवकंतं / / 824 // छिदित्तु मोहपासं चइत्तु दुक्खोहखाणिगिहवासं / काहं तुह पयपउमे छप्पयसबम्भचारित्तं // 825 // सामि ! सवणामएणं तुह वयणेणं जिणिंद ? घरमुच्छा / उत्तिन्ना सिवमग्गे चरणमहं संपविजिसं // 826 // विणयपणओ जिणेसर ! सम्मं संबोहिऊण पियराइं। तुह पयपोयारूढो लहुं तरिस्सामि भवसिंधु // 827 // हं भो देवाणुप्पिय ! मा पडिबंधं करिजसु तुमं ति / इय | जिणमणिए एसो रायगिहे गेहमणुपत्तो // 828 // पियराइं पणमिऊण मेहकुमारो पमोयसंभारो / विनवइ मउलिमंडलमउलियकरकमलजुयलग्गो।। 829 // तायव ? मए दिट्ठो तिहुअणतरणी जिणो महावीरो। तब्बयणकिरणनिहओ हिमं व मोहो मह विलीणो // 830 // हरिसभरनिम्मरंगी उववृहद धारिणी तओ मेहं / धन्नोसि तुमं पुत्तय सलक्खणोतं कयत्थोऽसि // 831 // मेहो पुणोवि जंपइ तुम्हाणुनाए ताय माय अहं / जिणरायपायमूले पडिवजिस्सामि पवजं // 832 // इय DI57 // SAHASRECASS
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy