________________ // 45 // SASSI SHARADARASAKS विसएसु पयट्टाणं अमग्गगामीण सालिखेत्तेसु / लुद्धाण परकेसु होइ विवाओ सिरनिवाओ // 640 // एवं विसयविरत्तो अवगयतत्तो पसंतदिढचित्तो। पुर्ति परिणावेउं वियरियावितो महासत्तो // 641 // गिन्हह पंचमहत्वयमारं सुगरुण पायमलंमि / विहंपि दिजमाणं सिक्खं सिक्खेइ संविग्गो।। 642 // थेरपयसंथवेणं सजायपरेण तेण विणएण / अह उत्तरज्झयणाणं सुयक्खंधो पढिउमाढतो // 643 / / जावज्झयणमसंखं उद्दिटुं ताव पुत्वभवबद्धं / कम्म नाणावरणं तस्सुदयं गच्छह सहसा // 644 // उवउत्तेवि पढ़ते तंमि तओ ठाइ नऽक्खरं हियए / सलिलं व चालणीए चिक्कणकम्माणुभावेण // 645 // दुद्धं च कजिएण तरर्लिंजइ अक्खरं पदंतस्स / वाएण वऽभपडलं विहडइ कम्मेण तस्स सुयं // 646 // दिणमणिमंडलनिम्मलपयाससरिसोवि बुद्धिपसरो से / सहस च्चिय छाइजइ गहकल्लोलेण कम्मेण // 647 / / कम्मेण कामणेण व दुद्वेणुवओगजोगकरणेवि / सुयगहणधारणासु सत्तिविवत्ती परं जाया // 648 // हद्धी कह मह बुद्धी मणिदप्पणस. च्छनिम्मला संती / विम्हरणकअलेणं सज्जो कलुसीकया ? अज // 649 // सुयनाणनयणअवलोइयाई जीवाइतत्तरयणाई। झाइजंताई फुडं केवललच्छि पयच्छंति // 650 // मह पुण सुयनाणनयणमिणं छाइजइ दुडकम्मपडलेण / तो कह भवदोगचं सचं दूरीकरिस्सामि 1 // 651 // अप्पपरोजोयकरं सुयनाणं दीवउ व दिप्पंतं / सग्गुणदसापवत्तं कहिपि पत्ते हवइ पत्ते // 652 // तो तेण विणा संपइ मग्गामग्गावलोयरहियस्स / दुग्गइगत्तावाओ हाहा होही मह अवाओ / / 653 // अव| गेच्छइ मणमोहो दिट्ठी अत्थेसु पसरह सम्मं / अप्पपरचेयणावि य सुत्तविबुद्धाण जीवाणं // 654 // मह सवणगोयरगयं 3 विपाकः / 4 चलितंभवति / 5 अपगच्छति / तद्दवा जातवैराग्येन गृही|ता दीक्षा, उत्तराध्ययनयोगेन चटति ज्ञानावरणोदयेनाक्षरमेकमपि / SGAROACHED // 45 //