________________ भी तत्पुत्री रूपवतीं दृष्ट्वाऽ जयन्तीप्रकरणवृतिः / // 44 // अप्पडिबद्धविहारो पयासियासेसतित्थवित्थारो / गणहरसिरिउरहारो सुइरं विहरइ सपरिवारो // 625 // अह संलिहियसरीरो धीरो मेरु व जलहिंगमीरो / एसो सुट्ठियसूरी सग्गं पत्तो समाहीए // 626 // तो दिव्वं देवढेि चिराय भुत्तूण देवलोगाओ। चविऊण उप्पलो घोसे आहीरकुलपुत्तो // 627 // देहकलोवचएणं पडिवयचंदो व बड्डए एसो। सोहग्गनिही विहिणा रिद्धिस्थिमिए कुले तम्मि // 628 // वियसंतरायचंपयकंतिकलावंमि जुवणारंमे। रंभाभिरामरमणीपाणिं गिण्हइ | स रिद्धीए // 629 // पंचप्पयारविसओवयारसहयारकाणणारामे। रायसुओ इव पुनप्फलाई भुंजइ स लीलाए / / 630 / / अह तस्स सुया जाया विहिणा सबप्पयत्तनिम्माया / रूवाइगुणमणीण रोहणगिरिरायधरणी व / / 631 // जुवणवणमि तीए पुनंकुरकिरणमंजरिसणाहे / सच्छंद तरुणाणं चरंति हरिणाई नयणाई // 632 // अह घयविक्कयकले नयरे एगमि सगडसत्थेणं / सो अन्नया य गन्छ। तं पुत्तिं सारहिं काउं // 633 // तो तीए रूवेणं असरिसरूवेण दंसणे लुद्धा / अपहेणऽने नियडे नियनियसयडाई भजति // 634 // भग्गाई ताई तेसिं न इत्थ अच्छेरयं वयंति विऊ / सयमणोरहभंगो होइ जमुम्मग्गगामीणं // 635 // तो तेण वइयरेणं पुत्ती सा असगडत्ति विक्खाया। तीए जणओ एसो सिद्धो सगडापिया तत्तो // 636 // लहुकम्मयाए चिंतइ रागंधाण जियाण सुकडाणं / सगडाणं च परिहाणी अमग्गगामित्तओ होइ // 637 // महपुत्तीए रूवे दीवे इव दिपमाणमुत्तीए / अवियाणियपरिणामा गोवपयंगा इमे पडिया // 638 // विसया विस व विसमा विसमगई विसहर व पयति / किंवागफलसगोता किंवागा जेण जीवाणं // 639 // HOROSAGARLICATCHES न्याभीरपुत्रैरुन्मार्गे . शकटा: खेटिता भग्नाश्च। १निकटे / 2 रसाः / // 44 //