________________ // 43 // 4%A61364 मयरंदस्संदलद्धेहिं // 609 // जो धम्मदेसणाए भवियाण कुमुयाण चंदजुन्हाए / अवहरह मोहनिदं जलासयाणपि लीलाए। // 610 // जीवाइपयत्थाणं पयासणे दिणमणि व दिप्पंतो। भवमणेसुं फलिहुजलेसु जोई जणइ जो य // 611 // जिणसासणंमि गयणंगणंमि तारयगणाण मज्झमि / सोमो पहाकरोवि य कलिओ कइयावि न तमेण // 612 // वियसंतकासकुसुमुअलाए जस्मल्लसंतकिचीए / सरए व बहुसुययाए लोया वटुंति मग्गेसु // 613 // पन्हुत्तरवयणेहिं जस्स य गोखीरपूरसरिसेहिं / परिचयअंगा सिस्सा वच्छ व हवंति बहुवसहा // 614 // विज्जुजोयपयासियखमाविसेसो असेसधन्नाणं / उल्लासकारणं जो घणौगमो जीवलोगम्मि // 615 / / एस अखंडियसीलो बहुस्सुओ एस एस सुपसनो / एसो य गुणनिहाणं जस्सेसा घोसणा ममइ // 616 // एगो य तस्स भाया लहुओ साहू सहोयरो अस्थि / सज्झायज्झाणवरमो दुहावि अप्पस्सुओ संतो // 617 // चउहाधम्मकहाए निच्चं सुत्तस्थपोरिसिविहाणे / अह सो खिन्नसरीरो धीरोवि हु चिंतए सूरी // 618 / / सुहहेउ सुयमहीयं मए पुरा तं दुहावयं जायं / न लहेमि जमिह निच्चं अणुओगाईहिं विस्सामं // 619 // पढियसुयाण अहवा लोएवि हु कट्ठपंजरगयाणं / निचं वच्चइ कालो परतंताणं दियाणपि / / 620 // एसो खु मज्झ माया जमप्पसुत्तो पडोब गुरुभावं | अवतो लहु सुज्झइ संवरमित्तेण जयणाए / / 621 // एवं सो निच्चयं काउं सुयदाणजणियखेएणं / बधंइ नाणावरणं दुनिजरं चिकणं कम्मं // 622 // खणमित्ताओ उवरिं सूरी परिणामनिम्मलं भावं / काऊणं सुयदाणं जहाविहाणं पुणो | देह // 623 // पवयणगणदिणिदो भवियणकमलाण बोहणाणंदो। सो सूरी सूरसमो सोमो सुयसायरुल्लासो // 624 // 2 ज्ञातागमाः पक्षे पुष्टशरीराः। 3 बहुश्रुतः पक्षे वर्षागमः। 4 द्रव्यभावाभ्यामल्पश्रुतः। 5 पक्षिणां / सुस्थिताचार्येण श्रुतदानजनितखेदेन ज्ञानावरणीयकर्म बद्धमाभीरकुले जन्म 4 4 X // 43 // %