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________________ जयन्तीप्रकरणइतिः / CASSAGAR ज्ञानदान| खिन्नतोपरि शक टापित // 42 // दृष्टान्तम् / दिति सुपसना // 595 // भणियंच-वाया सहस्समइया सिणेहनिज्झाइयं सयसहस्सं / सम्भावो सञ्जणमाणुसस्स कोडिं विसेसेइ / / 596 / / तो तं माहण मा भण एस अजुग्गो सुरप्पसायस्स / तुमएवि दिट्ठीदाणा जं नाओ अयलसम्भाषो // 597 // धनाणं भावोच्चिय महग्घयं देह जमिह बढ़ेतो / इइ लोए ववहारो तुमए कि बटुय! न सुओवि ? // 598 // इय सिववयणसुहाए सित्तो सो माहणो असहणोवि / जाओ पसनचित्तो ईसाविसवेगपरिचत्तो // 599 // विन्नबइ सिवं देवं देव ! मए जं तुम समुद्दिसिउं / अविइयपरमत्थेणं जंपियमन्त्राणदोसेण // 600 // तं स्खमियत्वं इण्हि अनाणंधाण तुच्छहिययाण / अम्हारिसाण करुणाजोग्गाणं देवपणयाण // 601 // तो देवेण सिवेणं तस्स पुलिंदस्स अप्पणो य पुणो / दिवाए सत्तीए नयणं विहियं जहावत्थं // 602 // एवं चिय सुयनाणं सुगइपहे नयणसुंदरं पत्तं / विहिणा वियरंताणं किमदेयं ? होइ धीराणं // 603 // ते धन्ना कयपुत्रा सुकयत्था जे हरंति जीवाणं / सुयनाणरयणवियरणवसेण अन्नाणदोगच्चं // 604 // ॥सिव एव जक्ख अक्खिदाणकहाणयं सम्मत्तं // दिन्तो पुण सुयनाणं दंतो संतोऽवि जो परिस्संतो। चिंतइ किं पढिएणं ? एएणं अहव दिनेणं // 605 // नाणावरणं कम्मं दुप्परिणाम स बंधो कीवो। जीवो जं तवविणयज्झाणाईहिं दुनिअरणं // 606 // आगमसिद्धा सगडापिया जहा पुत्वकम्मकयकम्मं / बारसवरिसतवेणं नाणावरणं खवइ जम्हा // 607 / / तथाहि-गंगातरंगिणीए तीरे देसेसु संनिवेसेसु / सुट्टियनामा सूरी विहरतो आसि गुणभूरी // 608 // अवरावरगच्छागयपाडिच्छयछप्पएहिं पयकमलं / सेविजइ जस्सागम 1 भ्रमरैः। // 42 //
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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