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________________ // 39 / / 4145433 मलसुरहीकीरंतदसदिसाभोओ। अणवरयसिद्धकिन्नरगीयज्झुणिसग्गरमणीयो // 550 // अत्थि इह भरहमज्झे झरंतसरि-8| तत्र सीयसीयरो सारो / गोरगिरी नामेणं सेलो हिमवंतवित्थारो / / 551 / / निज्झरणसंनिहाणे आसि तहिं गिरिवरम्मि उजाणे / ज्ञानदानोसंनिहियपाडिहेरो सिवामिहाणो सुरो एगो // 552 // वक्कलचीरावरणा गुंजाहलमोरपिच्छिआभरणा / पारद्धिगिद्धिवसणा परि शिवपिसियासणऽरन्नघरवसणा // 553 // धम्माहम्मवियारणदरट्ठिया रायनीइरहिया य / पव्वयवरे पुलिंदा सच्छंदा तत्थ निव जक्षस्योसन्ति // 554 // केणावि पच्चएणं निच्चलमत्ती सिवंमि देवम्मि / एगो ताण पुलिंदो निच्चं आराहणासत्तो // 555 // दाहरणम्। आगच्छइ पइदिवसं एसो तं पूइउं सिवं देवं / बाणसरासणहत्थो दक्खिणकरकुसुमपन्तीओ // 556 // मुहकमलाणीएण पाणिएणं पडिच्छए न्हवणं / सिरसा सो संतुट्ठो सिवो सुरो तस्स भावेणं / / 557 // तो पूइऊण पणओ पुलिंदओ तेण सिवसुरेणेसो / पुच्छिाइ कुसलाइयमुदंतमाणदियमुहेणं // 558 // सन्निहियसन्निवेसो तह आगंतूण माहणो एगो। तं देवं आराहइ निच्चं सविवेयविणएणं // 559 / / ओसारइ निम्मल्लं निज्झरसलिलेण न्हावए निच्चं / चंदणविलितगत्तं सुयंधकुसुमेहिं पूएइ // 560 // उक्खित्तधूवधूमुच्छलंतलहरीउ सुरहिगंधेण / सिरिकंपचलिरअलयेस्सिरिं वहति व आसाणं // 561 // गोमयरसच्छडाहिं रेहइ देवंगणं च बहलाहिं / घणपुप्फपयरसोहं कुसुमियनंदणवणसिरीयं // 562 // अह अन्नदिणे बडुओ आगच्छंतो सुणइ संलावं / केण समं को जंपइ इय अवहियमाणसो जाओ // 563 // तो तेण माहणेणं अवहिअचित्तेण पडिसुणतेण / नायं सयं पुलिंदं संभासइ एस सिवदेवो // 564 // तो चिंतेइ स बडुओ एस विवेओ सिवस्स अइकडुओ। 5 केशशोभां। // 39 //
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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