SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 50
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ // 37 // श्रीवीरवन्दनार्थमुदाय ननृपस्य समवसरणे गमनम् / 4%CEOCG15- 1 घणगजियसज्जियसिहितंडवाडोवो // 519 // कयमज्जणसिंगारो उदयणरायावि तं गुणग्घवियं / जयकुंजरमारुहिउं वीरजिणं वंदिउं चलिओ // 520 // जिणरायपायबहुमाणखीरजलरासिफेणमित्तेण / तावपडिकूलमुत्ताऽवचलसिरधरियछत्तेण // 521 // जस्स विरायइ हारो तारो विप्फुरियकतिवित्थारो। हिययत्थलंमि वावियसुकयंकुरबीयरासि व // 522 // सिवपहतरुकुसुमाणं गुच्छसरिच्छेहिं धवलचमरेहिं / वीइज्जतो राया रेहद इंदो व गच्छंतो // 523 // हेसंतहयं गजंतमेगलं घणघणंतरहलक्खं / दच्छभडाकोडिवियर्ड चउरंगदलं तओ चलियं // 524 // कयमंगलोवयारो विरइयसिंगारदिवलंकारो / अहमहमियाइ नयरीजणो जिणं वंदिउं चलिओ // 525 // संपट्ठियम्मि गए सोहह उच्छलियरेणुरिंछोली। जिणभत्तिकेयईपुडवियासपसमिरपरागो व // 526 // माऊरछत्तसियआयवत्तलक्खाई हुंति दक्खाई। गर्यणसरे नीलोप्पलकुमुयाण सिरीसमुबहणे // 527 // गयगजिय-हयहेसिय-रहंगरव-सुहडसिंहनाएण | भवजलहिमहणनिग्घोस एस किल नजइ बुहेहिं // 528 // जिणभत्तिकरणदच्छा विवेयससिकिरणहरिणनेवत्था / माणसजलं व सच्छा वच्छाहिवनरवइपिउच्छा // 529 // गच्छइ सावि जयंती सद्धासंवेगसारपरिणामा / बहुरिद्धिवित्थरेणं महिड्डियनरनाइपणयपया // 530 // पंचविहाभिगमेणं ओसरणे पविसिऊण जिणरायं / तिपयाहिणीकरिता बीरं वंदेह भत्तीए // 531 // अह बारसपरिसासु जहट्ठाणट्ठियासु सावहाणासु / भयवं वीरजिणिंदो धम्मकहं कहिउमाढत्तो // 532 // भवमरुमंडलमज्झे तन्हासंतावतावियजणाण / संकप्पियफलदाई कप्पहुमविन्भमो धम्मो॥५३३॥ दसदिढुंतदुर्लभं ल« मणुयत्तणाइसामग्गि। उज्जमह मा विसीयह सिवपहरम्मम्मि धम्मम्मि // 534 // 5 तापप्रतिकूलमुक्तावचूलशिरोधृतछत्रेण / 6 राज्ञि / 7 पंक्तिः / 8 दक्षाणि / 9 गगनसरसि / 10 चलन् / 11 धृति / // 7 // ace
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy