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________________ प्रस्तावना ल जयन्तीप्रकरणवृत्तिः / // 2 // SARAWAAAAA प्रश्न-इंद्रिय वश थयेला जीवोने शुं नुकशान ? उत्तर-इन्द्रियलुब्ध जीवो चिकणा कर्मोने बान्धे. आ छट्ठा प्रश्नोत्तरमा पांचे इन्द्रियोना पांच प्रश्नोत्तरो छे तेथी प्रश्नोत्तरनी संख्या 10 थाय छे. जयन्तीप्रकरण उपर श्रीमानतुंगसूरिना शिष्य श्रीमलयप्रभसूरिए अनेकरसमय मधुर विवरण रच्यु, तेमां मुख्य जयन्तिनी कथा अने बीजी अनेक बोधककथाओ रसमय रची छे, तेथी जयन्ति चरित्र तरीके या प्रन्थ प्रसिद्ध छे. मलयप्रभसूरिनो सत्ताकाळ पोते प्रान्ते पुष्पिकामां नीचे मुजब पृ. 321 मां बतावेल छे.. " प्रश्नोत्तरप्रकरणे परिवाराऽभ्यर्थने स्वगुरुभक्त्या। अविभक्तधर्मचन्द्राभिधगणिना भागिनेयेन // 15 // भणितेः श्रीमलयप्रभसूरिभिरेषा विचित्रदृष्टान्तैः / सम्वेगाय यथामति जगति जयन्तीकथा प्रथिता // 16 // द्वादशवर्षशतेषु श्रीविक्रमतो गतेषु षष्टितमे / वर्षे ज्येष्ठे मासे श्रवणगे कृष्णपञ्चम्याम् // 18 // " आ त्रण श्लोकोथी विक्रम सं. 1260 ज्येष्ठवदी 5 श्रवणनक्षत्र श्रीमलयप्रभसूरिनो सत्ताकाल चोकस छे. एटले क्यारे ? अने कोणे रच्यु ते बाबत स्पष्ट थई. आ ग्रन्थनो विषय विभाग हेडींगथी जोई लेवो अने कथा अनुक्रमणिका जुदी तारवी छे ते जोई लेवी. आ प्रन्थमां पृष्ठ 203 मां कपिलकथाना केटलाक श्लोको टक छे तेमज कलहपापस्थाननी कथामां पृ. 222 अने 223 मां पण श्लोको त्रुटक छे तेनुं कारण ते विभागनुं ताडपत्रीय पुस्तक तहन घसाइ गयेल छे तेथी जेटला अक्षरो वंचाणा वेटला दाखल कर्या छे बाकी श्लोको पादो तथा वाक्योने निरुपाये त्रूटता राखवा पच्या छे केमके कोई भंडारमाथी तेनी प्रत मली शकी नहि. आ ग्रन्थ पहेलवहेलो मुद्रित करायो छे माटे वांचको कोई जगोथी जयन्ति कथानी प्रत मेळचे तो ते त्रुटतो विभाग पूरो
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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