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________________ उ LOCIAAAAAAAC5% फोइ हता. जीवाजीवादिकतत्वना अभ्यासी महानद्धालु हता. प्रभुश्रीवीरना शासनमा साधुओने उतरवा वस्ति आपनार होबाथी प्रथमशय्यातरी तरीके प्रसिद्धिने पाम्या हता, भगवान् महावीरदेव ज्यारे कौशाम्बीनगरी पधार्या त्यारे श्री उदयराजे महाविभूलिए भगवान सामैयु कयु ते वखते उदयनराजानी साथे पोतानी माता मृगावती तथा फुई श्रीजयन्ती महासती समवसरणमा जई भगवानने वांद्या अने भगवन्तनी पावनकारी धर्मदेशना श्रवण करीने हृदयमां जीवविषयक जे संशयो उत्पन्न थया ते भगवन्तने पूछया. भगवन्ते ते प्रश्नोनो उत्तर आप्यो तेथी पंचमांग श्रीभगवतीसूत्रमा गणधरदेवे बारमा शतकनो बीजो उद्देशो जयन्ति प्रश्नोत्तर तरीके रचेल छे, तेना उपरथी पुनमियागच्छीय श्रीमानतुंगसूरिए जयन्तीप्रकरण उद्धर्यु छे एम प्रकरणकार पोते मूल 28 मी गाथामा जणावे छे. " भगवइबारसमसया वियउद्देसाउ पगरणं एयं / सपरोभयसरणत्थं उद्धरियं माणसूरिहिं // " आ प्रकरणमां नीचे मुजब प्रश्नोत्तरो छे:प्रश्न -जीवो भारेकर्मिपणुं शा कारणथी करे? उत्तर-अढार पापस्थानको सेववाथी करे. प्रश्च २-भव्यपणुं अने अभव्यपणुं स्वाभाविक छ ? के परिणामयी छे ? उत्तर-स्वाभाविक छे. प्रश्न३-जागृतदशा सारी ? के सुप्तदशा के सारी 1 उच्चर-धर्मी जागता सारा, अधर्मी जीवो सुता सारा. प्रश्न-दुर्बलपणु सारं के बलिष्ठपणु सारूं? उत्तर-पापीजीवो दुर्बल सारा धम्मिजीवो बलवान् सारा. प्रश्न ५-दक्षपणुं सारं के बासुपणुं सारं, उचर-पापी दुष्टचित्तजीवो आलम सारा; धर्मश्रद्धालु जागता सारा. RSHASKARISHASTRA
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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