SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 6
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ SECRECOROSAROCHORSRACT करी ले एवी विद्वानो प्रत्ये अमारी अभ्यर्थना छे. आ ग्रन्थ मुद्रित कराववा पुण्यवंत उदारदील गुप्तदानेश्वरी महाशये बे हजार रुपीयानी मदद करी छतां असह्य मोघवारी होवाथी केटलाक काल सुधी सोंघवारीनी आशाए काम बन्ध राख्यु, पण सोंघवारी थई नहि पण उलटी मोघवारी खुबज वधी, एटले तैयार करेल ग्रन्थ पड़ी रहेल, ते अमोने असह्य थई पडयु. तेथी अमोए निर्णय कर्यो के.-मोघवारीमा पण ग्रन्थप्रकाशननु कार्य शरु राखवू, एटलामां प. पू. आचार्यभगवन्तनुं चौमासु थरा गाममा नक्की थयु. अमोए जणाव्यु के--जयन्तीचरित्रनुं प्रकाशनकार्य करवानो अमे निश्चय कर्यो छे काम शरु थर्बु जोईए. परमोपकारी श्रीआचार्यभगवन्ते अमारी विनंती स्वीकारी उत्तर आप्यो के--जयन्तीना प्रकाशनकार्यमां धर्मरागी श्री थर जैनसंघज्ञानखातामाथी आठसो रुपीयानी मदद करे छे, तेथी अमो खुश थया. प्रन्थ प्रकाशननुं कार्य शरु कयु, अनुक्रमे ते कार्य पूर्ण करी शक्या, तेथी आ ग्रंथना प्रकाशनकार्यमां मदद करनार पुण्यवंत गुप्तदानेश्वरी महाशयनो तथा श्री थरा जैन संघनो आभार मानीये छीए. अने पू. आचार्यदेवनो उपकार जेटलो मानीए तेटलो ओछो ज छे. केमके आ प्रन्थनुं तमाम काम ते पूज्यश्रीए पूरुं पाडयुं छे. छवटे विद्वान महाशयो प्रते जणावीए | छीए के-आ प्राचीन साहित्यने पठन-पाठनमा लई अमारो अभिलाष पूर्ण करशो. लि. पं. मणिविजयजी गणिवर ग्रन्थमालाकार्यवाहक मास्तर न्हालचंद ठाकरशी मु. लींच (वाया महेसाणा) ता. 25-8-50
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy