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________________ CCC जयन्तीप्रकरणवृतिः / जाओ छउमत्थत्तेण तेण ते धन्ना / जे केवलनाणसिरीसहरिसपरिरंभसुहियंगा // 415 // ता कइया महज्झाणं उल्लसिही केवलज्ञाने पइक्खणं च वियसिहि ही / छउमत्थत्तनिबंधणकम्मिघणधूमधयसरिसं // 416 // इह सुद्धभावणाए य रायहंसीए तीए मण- प्राप्ते सति कमले / पसरंतीए असेसो रएण दुरं रओ क्खित्तो / / 417 / / निल्लेवियदोसुदया पइक्खणं लेसाविसुद्धहंसपहा / कमलवणं व 18| सन्मुखावियासइ अउर्वकरणं तओ एसा // 418 // तो कलियखवगसेणी अइदिदइंदोसणी पत्रेइ / उल्लसियवीरियत्ता मोहमहापवयं | गच्छत्सर्प सहसा // 419 // अह अहक्खायचरितं कल्लाणमहागिरिन्दमारूढा / वीसमिय पढमसमए निदं पयलं च नामस्स // 420 // ज्ञाते चन्दपयडीओ खवेइ कइवय चरिमे सेसाई घाइकम्माई / सा सुक्कज्झाणआइमदुमेयसिहरग्गमल्लीणा // 421 // एयाए सुक्कज्झाण- |नवालाहतरियाए केवलं वरं नाणं / विहुणियपावा पावइ मिगावई लद्धमाहप्पा // 422 // पेच्छइ लोयालोयं मुत्तामुत्तं च धूलसुहम स्तापसरणे च / निच्चानिचं सक्खं भावमणंतस्सहावं च // 423 // जस्सट्टाए कीरइ कट्ठाणुट्ठाणसंजमोजोगो / तम्मि य सा लट्ठा तस्या गतो कयकिच्चा निव्वुया जाया // 424 // दिट्ठो अणाए सप्पो सेजालंबंतपाणिकमलंते / न चंदणाए सहसा संगयनिदासही- निद्रावेणी // 425 / / गुणमणिरोहणविणयं पुवपउत्तं न खंडइ अनाओ। किर केवलीवि पाणी तीए तीएं तदुक्खित्तो // 426 // प्रमादः। केवलनाणदिवायरउज्जोइयफारकरसमुल्लासे / मुंचंति चंदणाए तो निदं नथणकमलाई // 427 / / जंपइ पवित्तिणी तो भमरी. झंकारमहुरवाणीए / अजे ! अञ्जवि चिट्ठसि ? म खामंती तुमं भद्दे ! // 428 // हद्धी मज्झ पमाओ जाओ सुपसायकयविसंवाओ। खामंतीवि तुमं विसज्जिया नो मए अजे! // 429 // पुच्छिजसि किन्तु तुम महबाहू चालिओ तए कीस। 6 घूमध्वज / 7 वेगेन / 8 अपूर्वकरणं / 9 इन्द्रवजा / 1 अशातः / 2 तस्याः / 3 तया। ' // 30 // रणवणयं पुखपउत्तं न खंडह मालवंतपाणिकमलंते / नागो। तम्मि य सालमुहा RECASHASHOES
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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