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________________ HARSAA TRE गुरुदिक्खिया तुमे वच्छे ! / उत्तमधम्मपवत्ता कह सहसा ववसिया एवं ? // 40 // सीलाइगुणसरोरुहदिणयरसुत्ति व तं विक्खाया। कहमुग्गतमेणेवं अंतरिया अणुवओगेण ? // 401 // तुह बुद्धी सलहिज्जइ जीए पायारसारघडणाए / तुमए कयमप्पपुर अमुसियवरसीलगुणस्यणं / / 402 // गुरुमोहचंडराओ तुमए बुद्धीए निजिओ वच्छे ! / कहमिन्हि पञ्जोए संमोहो तुज्झ संजाओ // 403 // सरइंदुकिरणसीयलसिक्खावयणेहिं होइ लजाए / सा कमलिणि व सहसा मउलियमणनयणमुहकमला // 404 // संतावहरणदक्खा तीए सिक्खा जहेव वरदैक्खा / निव्वुइमणा पयंपद मियावई तयणु पणयंगी // 405 // गुणकोडिसमारोहणकारणभूयाए धम्मसिक्खाए / दिनाए तए भगवइ ! परलोओ निजिओ चेव // 406 / / इच्छामो अणुसद्धि तावहरिं सरसमिच्छुलढि व / धन्नाणं चिय एसा संपन्जइ पुनवंताणं // 407 // एयाए सिक्खाए सरिसाए सारणीए अणवरयं / मूलगुणाण वुढ्ढी आरामाणं व रामाणं // 408 // अमियरसोवचियाए सेससिहाए व तुम्ह सिक्खाए / किं चुजं ? विबुहाणं धारिजइ जं खमाधारो // 409 // तो काऊण पसायं भगवइ ! तं खमसु एगमवराह / सयेराहं जेणाहं लहेमि सुक्खं अणाबाहं // 410 / / एवं पवित्तिणि सा खमावए पायनिहियसिरकमला / पक्खालियपावमला उवसंपजंतमोक्खफला // 411 // पडिवयणं अलहंती संचिट्ठइ सुट्ट सुद्धमगपसरा : निदापमायवसओ पवित्तिणीए खणं जाव // 412 // ताव मियावइसमणी परिसप्पिरदप्पसप्पफणिन्दमणी / तिणसलइय व नमणी उवसमगुणरायपियरमणी / / 413 / / भावणमेवं भावइ ते धना जे गुरुण मणखेयं / नहु जणयंति कयावि हुअवहाणपहाणपसरा // 414 // महऽणुवओगो 1 शरीरं एक्षे नगरं / 2 प्रद्योते-सूर्ये / 3 वरद्राक्षा / 5 शीघ्रं / चन्दनबालया शिक्षावचनकथने मृगावृत्या: शुद्धात्माविचारसरणिः। // 29 //
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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