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________________ // 23 // RECOGRA | परिणेइ तरुणीण पंचसए // 306 // रूबोवहसियदेवंगणाहिं कीलइ य ताहिं सच्छंदं / दोगुंदगो व देवो गयपि कालं न | तदवसरे याणेइ // 307 // जद्दियहं जीए समं निवसइ तद्दियहमेव सो देइ / वत्थाभरणविलेवणगंधाइयं न सेसाण || 308 // IR भील्लप्रश्नोईसासल्लियहियओ रक्खइ सयमेव सो तहा ताओ। करपसरदिन्नतावं जहा न पेच्छन्ति सूरंपि // 309 // अह तस्स बाल त्तरे भगमित्ते समागए अन्नया विगयदोसे / सो जंपइ पेमपरो वियसियमणनयणमुहकमलो // 310 // सवासाण पयासं मित्तो वता कथिच्चिय इह करेइ जियलोए / सयलसुहाण निवासो समयाणं तह सरहस्साणं / / 311 // तो कहसु मित्त वच्छल सुरूवविहवेहिं तोऽनङ्गकिमिह पुरिसाणं ? / सेसाणमहं ऊणो न बल्लहो जेण रमणीणं // 312 // तेणुत्तं गुणरहियं रूवं किं ? आउलीए कुसुमं व / सेनस्य वसुपूरिओवि न रवी सुहओ जे एस करचंडो // 313 // जो किन्तु महुरभासी सिणिद्धदिट्ठीए पेच्छइ सहावं / नीयं चिय वृत्तान्तः। परिसकइ सययं अणुवत्तए छंदं // 314 // दुब्बयणेवि न रूसइ तूसइ अब्भत्थियं च वियरेइ / कित्तइ गुणे परोक्खे कलासु पयडेइ नेउन // 315 // पढइ य थक्के थक्के सुहासियं जं सुहाइसंसित्तं / नीयगमित्तच्चाई उत्तमसंसग्गदुल्ललिओ // 316 // इच्चाइविमलगुणरयणरोहणो मोहणो जयस्सावि / सुहओ पुरिसो किं पुण वियरमणीण तरुणीण 1 // 317 // इय सिक्खविउं नीओ निययघरं तेणऽणंगसेणोवि / पेमेण न्हाणभोयणविलेवणाईण कजेण // 318 // ता अवसरोत्ति काउं तम्महिला मजणाइ काऊण | कथसिंगारा दप्पणहत्था सच्छाउ चिट्ठति // 319 // पत्तो अणंगसेणो हट्ठो तुट्ठो विसजिओ सुहिणा। आगच्छइ नियगेहे पेच्छइ मजा सनेवत्था // 320 // अह सिंगारो तासिं तं तावेइ जह जलंतअंगारो। संगारो इव ईसा१ अवसरे। 2 संकेतः। // 23 //
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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