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________________ बयन्तीप्रकरण धृतिः / // 22 // नम्। SOCCASNACOCOG परमत्थवियारणेणेवं / / 290 // एएणं सोएणं अइनिम्मलसंवरेण भावमलं / पक्खालिऊण सुद्धा लहंति सिद्धिं लहुं जीवा सम्यक्तादि // 291 // दुहभयजणणी निव्वुइहणणी जीवाण इह सकिंचणया / इय साहूहिं पवना उत्तमवनाऽसकिंचणया // 292 // 1 देशविरतितीए अभयपुरीए नाऽयाणभयं हवेज कइयाबि / तत्तो धम्मज्झाणं पवत्तए मुणिवरिंदाणं // 293 // अविय-तीए निवसंताणं धर्मवर्णदिढसत्ताणं जियाण तुट्ठाणं / निजियसयल वणो न मोहरायावि पभवेइ // 294 / / भच्चेरं च थेरं सपाडिहरं सुरावि पूयंति | संपत्त अत्तलाहो जओ तओ होइ जियलोओ // 295 // अपि बंभवुड्डभावे महग्घसोहग्गजणियरंगाओ / अइसयसयलच्छीओ सयंवरा इंति साहूणं // 296 // इय दसविहधम्मकहासुहाए चारित्तमोहणीयविसं / अवसरइ तओ भवा दिक्खं गिन्हंति संविग्गा // 297 // एसो जईणधम्मो लहुकम्माणं जियाण अइसुहओ। उइए चरित्तमोहे गिहिधम्मो पुण कारेयवो / / 298 // सम्मतमूलमणुवयगुणवयसिक्खावएहिं परियरिओ। वारसमेओ सिवसुहपरंपराकारणं एसो // 299 // धम्मस्स कप्पतरुणो सम्मत्तं मूलबंधुरं धणियं / संकाइमलविमुकं सरसखमाए गुणारूढं // 300 // इय धम्मदेसणेण तिमिरमिव दिणयरेण अवणीए। मिच्छत्ते भवजणा सिवपुरमग्गं पवजंति // 301 // एत्थंतरम्मि एगो, धणुवाणसणाहपाणिपउमजुओ। मिल्लो मणसा पुच्छइ पणओ उद्धावबद्धजडो // 302 // तत्तो जिणेण भणिओ वायाए भद्द पुच्छसु तुमति / तो तेण पुणो वृत्तं जासासासत्ति किं नाह! // 303 // सासत्ति जिणेणुत्ते गोयमसामीवि पुच्छए पणओ / भय किमेस जंपइ ? पन किंब तुम्हेहिं // 304 // भयपि तो पसाहइ, गोयम ! चंपाए धाउवायविऊ / आसी सुवनगारो, अणंगसेनुत्ति नामेण // 305 // रूवेण कामदेवो चाई भोगी पियंवओ सुहओ। इच्छियदाणपयाणा, INJ // 22 // ANKARACKASARAS
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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