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________________ 44 // 21 // क्षमादि दशप्रकारमुनिधर्मवर्णनम् / कुडिलतविरहिएणं विणएण साहुधम्मेण // 275 // जलरुवा अवि जीवा भवण्णवे मुत्तिसुत्तिसंलीणा। अंतोबहिं व विमलीहवंति मुत्ता महप्पाणो // 276 // संसारम्मि मसाणे सा गिद्धी फुरइ मुत्तिरहियाण / सम्मदिट्ठी जीए गसिज्जए दिजाए दुक्खं // 277 // अच्छरियमिणं लोए साहूणं धम्मकम्मनिरयाणं / जं मुत्तिउवायाणा होइ असुत्ताणउप्पत्ती // 278 // घणसंचियपावोदयसोसयपसरंतबहुपयावस्स / सचं मुणिहिं भणियं तवस्स जं जेसुइमावो // 279 // परमहिमभाववसओ तवसा डझंति कसिणकमलाई / जं तेण जडिमभावो नस्सह तं पुण महच्छरियं // 280 // गुरुपायसंपओगे तवंमि सिरिपवयम्मि जायति / लद्धीओ ओसहीओ जराइसमणीउ साहूणं // 281 // सीलंगसहस्साणं समग्गसचीण फुरियतेयाणं / संनिहिए नहु दोसो मणमक्कडसंजमे विहिए // 282 // आसवदाराणं संजमम्मि संवरसहावकलियम्मि / नहु होइ पावपंको मुणीण अच्छेरियं एवं // 283 // आसबनिसेधरूवे मुणीण जं संजमे कए होइ / अपमत्तया सयावि हु किमत्थ विबुहाणमच्छरियं // 284 // सच्चे चिय सलहिजइ लोए लोउत्तरेवि गुणगुरुयं / धम्मस्स कप्पतरुणो मूलं सच्चं चिय वयंति // 285|| सच्चं सुरतरुमंजरिकरणिं धारेइ दसदिसामोयं / दिवा माहप्पसिरी जं तत्थ समाइ ममरि // 286 // सत्ताण हियं सच्चं तं चिय अमयं वयन्ति मुणिवसहा / इह तं आसायन्तो अमियप्पा होइन हु चोजं // 287 // अपिच-अलियं न भासियवं अस्थि हु सञ्चंपि जं न वत्तवं / सच्चंपि होइ अलियं जं परपीडाकरं वयणं // 288 // जलसोयं चिय अंगीकाउणं जे नरा पयम॒ति / ते संसारमहोयहिमवगादा ठंति चिरकालं // 289 // पढमं च दयासोयं सच्चमतेन्नं च बंभचेरं च / निस्संगया य सोय 1 मुक्तिशुक्ति / 2 निर्लोभतोपादानात् / 135SUS4% //
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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