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________________ 15 // 34-ACANCE%ACAN कालभुयंगमजीहासिरीसमीहा फुरन्तीओ // 177|| पइदिवसं पसरतीओ उदति अणग्गिधूमकुरुलीओ। किल कुवियकालरयणी कौशाम्बी. कडक्खविक्खेवलच्छीओ // 178 // सुवति य निग्घाया संभावियतिक्खदुक्खसंघाया / संनिहियमच्चुमयगलगलगजियसब्ज- IP|नगर्यामपि उल्लासा // 179 // इय उप्पायालोयणतरलियनयणो सयाणिओ राया / निसुणेइ देससीमासमागमं चंडरायस्स // 180 ॥|8|जातेऽनिष्टतो खुद्धमणो राया अणप्पउप्पायदंसुणुप्पिच्छो / अइसारेणं सजो एसो जाओ कहासेसो // 181 // विरहभरनिब्भरंगी सूचकोत्पामियावई सारणीहिं दिटिहिं / वाहजलेणऽणुसमयं उरत्थलं सिंचए तत्तो // 182 // सोएण असोएण व साहपसाहाहि पसरि- तादिके एणं व / मूलाओ उठ्ठिएणं पल्लविएणं परदलेहिं // 183 // चिरकम्मपरिणईए वामाए दिन्नकमपहारेणं / दुहपसवसंभवेणं भयभ्रान्तरुक्खत्तं पाविअं गुरुयं // 184 // विरहगयाण अहवा लोए पसरंतपक्खवायाणं / कन्हकमलासणाणवि सुन्नासाभमणय | शतानिकजायं // 185 // विरहावत्थो रविसारहीवि सक्कइ पयंपि नो गंतुं / विरहदसं संपत्तो कनो पंचत्तमावनो // 186 // जिण राजमरणम् वयणसुहासायणदूज्झियविसमविसयविसवेगा। सविवेगाय मिगावई देवी चिन्तइ पुणो एवं // 187 // दुक्खमउ च्चिय एसो संसारो सायरो दुरुत्तरो। जम्मजरामरणजलो आवइउम्मीहि दुप्पिच्छो / / 188 / / वसणावत्तरउद्दो जोगवियोगाइजलयरायनो। ईसाविसायवडवानलजालसहस्ससंपुन्नो // 189 // कुग्गाहदुग्गमग्गो काममहामयरखोहियजलोहो। मिच्छत्तकालकूडो कसायपायालकलसो य // 190 // ते धन्ना कयउन्ना जे उत्तिन्ना परमपयत्तेण। चारित्तजाणवत्तं गहिय गुणरयणसंजुत्तं // 191 // नारीओ धनाओ जाओ वयं लिंति इह कुमारीओ / विसयामिसलुद्धाओ मुद्धा अम्हारिसीओ य // 192 // रमणप्पिया पुण बद्धा घरए सारीव वारंवारमहं / निवकुंजरस्स बंधणहेऊ वारीव संजाया // 193 // मम अहियरूवलच्छी | // 15 // CCCCTOk
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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