________________ जयन्तीप्रकरण नृपस्य // 244 // SHOCKCIECENTER वासीण / आरोह अवरोहं दसारया जन्ति जीवाणं // 5 // चाणकस्सवि लद्धे छिद्दे खुद्देण नन्दसक्केण / अह बिन्दुसारराया, बिन्दुसारसुबन्धुसचिवेणं विनत्तो // 6 // देव पसायं न कुणसि अम्हाणं जइवि तहवि हियमेव / वयमिच्छामो काउं निचं चिय सामिपायाण // 7 // विनप्पए तेणेमं तुह जणणी उयरफाडणेणं | चाणक्केणं निहणं नीया अवरं किमिह मणिमो ? // 8 // मिथ्याकोपे अस्सुयपुत्वं सोउं तबयणं पुच्छिया नरिन्देणं / परमत्थमयाणिन्ती जम्पइ धाइवि एमेव // 9 // तो कोवभरकन्तो इन्तं दट्टण | चाणक्यसचिवचाणकं / पिढेि दाऊण द्विओ राया अन्नायपरमत्थो // 10 / उवलक्खिय चित्तेणं चाणक्केणं गिहम्मि गन्तूण / जिण स्याऽनशनधम्मे संदवियं सम्म सयलं नियकुडम्बं // 11 // अत्थोवि कयत्थोच्चिय कुडम्बसयणेसु धम्मकजेसु / विणिओयऊण विहिओ स्वीकारः। समयं नाऊण बुद्धिमया // 12 // चिन्तियमणेणं निउणं इच्छाए महपयस्स एस निवो / पिसुणेण छिद्दकहणा ममोवरि कोविओ जेण // 13 // सो कायवोऽवस्सं मए तहा जीवियं जहा दुक्खं / अणुहवमाणो धारइ रहिओ भोगोवभोगेहिं // 14 // तो तेण निउणमइणा सुरहिदहिं गन्धजुत्तीए / पुडपागपओगेणं निम्मविया सुरहिणो वासा // 15 // पुडबद्धा संडविया मंजूसाए सुलट्ठकडाए। मज्झम्मि भुजपत्तं निहियं लिहियक्खरं एवं // 16 // जो जिग्घिऊण वासे से होही भोगोवभोगलम्पडओ। सो मरणं चिय लहिही सन्देहो नेह कायवो // 17 // मंजूसा ओयरए पिहियदुवारंमि जत्तओ द्वविया / संविग्गो चाणको मन्तियसयणाइयं लोयं // 18 // खामइ सम्मं जिणहरमहिमं काराविऊण सविसेसं / समसत्तुमित्तचित्तो आपुच्छिय जाइ रनमि // 19 // तसपाणवीयरहिए गोकुलगणे करीसकलुसंमि / इंगियदेसंमि द्विओ, पडिवाइ अणसणं विहिणा // 20 // विनाए वुत्तन्ते भणइ निवं बिंदुसारमह धाई / कीस तए मन्तिवरो परिमविओ एस चाणको ? // 21 // एसो हु मूलबन्धो P // 244 // AASARASOILOCA