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________________ // 243 // PROG तुमए कयं नियाणं न बुज्झसे तप्पभावेण // 65 // तो अम्हाण पयासो पडिमन्थो तुम्ह बोहणे एसो। आपुच्छिओऽसि पैशुन्ये सम्पइ विहरामो संजमोज्जुत्ता // 66 // भणिऊणेवं विहरइ मुणिसीहो अन्नअन्नदेसेसु / पत्ता कमेण केवललच्छि सिद्धो सुह-12 सुबन्धुसमिद्धो // 67 // चक्कीवि बम्भदत्तो रज्जे रटुंमि भोगरहरसिओ। गिद्धो दिद्धो चिकणअइघिणगुरूपावपंकेण // 68 // काम- मन्त्रिदृष्टान्धोवि य एसो कहापओगेण होइ अन्धो वि / आउखएण गच्छह तो कमसो सत्तमनरए // 69 // भोगेसु रई एवं पावट्ठाणति बनिया समए / सबेहि पयत्तेणं चायवा लहुयकम्मेहिं // 170 // / ब्रह्मदत्ताख्यानकं समाप्तम् / पैशुन्यमपि महदेव पापस्थानं, यत् शून्यं सदाचारेण, स्वीकृतं माहात्म्यपरिहारेण, पूर्ण पापप्राग्भारेण, संघटितं दुर्गतिद्वारेण / यतः-तत्र प्रवर्तते परद्रोहा, समुन्मीलति सन्मार्गव्यपोहः / पैशून्यं हि परिहरणीयं पृष्ठमांसपरिहारिमिः शिवपुरपथपुरिप्रचारिभिः / पृष्ठमांसभक्षिणो हि प्राणिनः पञ्जन्ते करुणारसेन सज्जन्ते रौद्रध्यानतः तामसेन / इहलोकेऽपि पैशुन्यजन्यदैन्याः प्राणिनः त्यामभोगसंभोगरहिताः पश्चाचापिनः पापिन: सुबन्धुमंत्रीव दु:खिता एव जीवितशेषमभिवाहयन्ति / तथाहि पाडलिपुत्ते मोरियवंसे सिरिचन्दनिवपुतो / रायाऽसि बिन्दुसारो निम्मलजसकित्तिवित्थारो // 1 // रजम्मि तस्स मन्ती चाणको परमसावओ विप्पो। बुद्धिविणिज्जियसुरगुरू मइमाहप्पो पसिद्धप्पा // 2 // जिणसासणप्पभावणवणराईकुसुमगुच्छसंकासो / धवलइ जस्स जसोहो सुहापवाहु व भुवणाई // 3 // अप्पडिहयपयावो तेयस्सी दिणमणीवि कालेग / लद्धोदयतिमिरेणं परिभूओ गच्छइ दिगन्तं // 4 // परिममिरकालचक्के सक्काइयाण भवनि- // 224 // IRCRACK अन्यजन्य AHAA5% परमसावओ विष्णालो / रायाऽसि बिन्दुसार कुलता एव जीवितशेषमणिवा
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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