________________ सनत्कुमा रेण जयन्ती प्रकरणवृतिः / 4 वन्दितो मुनिवरः। // 240 // 54545%CE मरणं च ससल्लाणं अणंतदुक्खाण कारणं वोत्तं / उद्धरसु धीर ! तम्हा नियाणसल्लं तवसरीरे // 16 // सुसिलिट्ठकट्ठनिम्मियअइदिढचारित्तजाणवत्तेण / भवसायरंमि तिमप्पाए तंमि किं बुड्डिसि इयाणि ? // 17 // अचंतियएगन्तियसिद्धिसुहाणं निबन्धणं चरणं / मणुयविसयाण कज्जे हारिसि किं ? वच्छ ! तुच्छाण // 18 // नन्दणवणं व एयं तवचरणं पालियं चिरं सहलं / किं दहसि ? नियाणेणं हुयासणेणेव तं सोम! // 19 // तं निक्खन्तो सीहो सीहुच्चिय विहरिउ चिरं कालं / संसारसुहनिरीहो तुज्झ भवो होउ मा दीहो // 20 // सुइरं पन्नविओवि हु विचित्तभंगेण चित्तमुणिणेवं / भविय वयावसेणं न नियत्तो सो नियाणाओ // 21 // तो अम्ह पडिवजियपरिवलियउत्तमढकप्पेण / मरिऊण देवलाए सुके देवा समुप्पन्ना // 22 // माणियदियलोयसुहो तओ चुओऽहं भवम्मि छट्टम्मि / एक्कुच्चिय सम्पत्तो बन्धवविरहेण चक्किपयं // 23 // पुत्वभवबन्धवो वि य मन्ने सो चेव आगओ साहू / जेणेस सिलोगो मे असंसयं पूरिओ झत्ति // 24 // तो वाहिं गन्तूणं जम्मन्तरबन्धवं गुरुसिणेहं / पिच्छामि समिद्धीए निबन्धेणं निमन्तेमि // 25 // सुणिऊणं रायवयणं एवं हरिसुल्लमन्तसवंगो / सहोवि जणो जाओ तुरियं मुणिदंसणुम्माहो // 26 // हरिसेण अमायन्तो चक्की अंगंमि पुलयपरियरिओ / बहिरूजाणे गच्छइ सविड्डीए तओ झत्ति // 27 // मुणिदंसणमि सिरिवंभदत्तचक्किस्स होइ सन्तुट्ठी / चिरविरहतावहरणी संजाया नं अमयबुट्ठी // 28 // नमिऊण पायकमलं मुणिस्स वियसन्तनयणमुहकमलो / उवविट्ठो चक्कहरो पुरओ सह सबलोएण // 29 // पुच्छइ य मुणिं भयवं ! दियलोयाओ चुआ कहिं तुम्मे / नयरंमि समुप्पन्ना? कम्हि कुले रिद्धिथिमियंमि // 30 // मुणिवइणा संलत्तं चविऊण सुक्कदेवलोगाओ / अहं समुप्पन्नो नयरे इन्भसुओ पुरिमतालंमि // 31 // मोहन्धयारदिण का॥२४॥