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________________ // 239 // SA-ACOCOCCIEOCE% सनत्कुमार चक्रिणा नमुचिप्रधानो निष्काशितः। | साहूस्स होइ संवेगो / जेणुत्तमहकप्पं विहिणा पडिवजए झत्ति // 99 // भावइ य इमं एसो धिद्धी आहारकारणेणावि / वसिमंमि विसन्ताणं अम्हाणं दुक्खदन्दोली // 100 // धन्ना ते चिय सिद्धा जे असरीरा हवंति णाहारा / तम्हा छहाविमुक्का तिलोयचडामणीभया // 1 // इच्चाइभावणाहिं ससिकिरणालीहिं माणसे तस्स / सुहज्झाणं कुमुयवणं विहयरयं वियसइ समग्गं // 2 // चक्की सणकूमारो वइयरमेयं मुणित्तु निविसयं / कारइ नमुई सचिवं सहसा सबस्स हरणेण // 3 // अन्तेउरपरियरिओ मुणिगुणमणिरासिभत्तिभरभरिओ। ताण पयवन्दणत्थं सयं तु नयराओ नीहरिओ // 4 // पणमइ उजाणगओ ताण मुणिन्दाण पायपउमाई / चक्की सणंकुमारो चमक्किओ तवगुणगणेहिं // 5 // रोमश्चश्चियगत्तो थुणइ गुणे ताण वग्गुवग्गुहिं / तुम्ह खमासमणाणं इमा खमा जयउ चिरकालं // 6 // छज्जीववच्छलाणं तवचरणं तुम्ह दिट्ठमाहप्पं / कप्पहुमुन्न फलयं अम्हाणं होउ आकप्पं // 7 // तुम्हं मुणीसराणं पयमत्ती होइ पुन्नवन्ताण / किं चिन्तामणिलाहो सव्वाणवि होइ जीवाणं // 8 // एवं थुणिऊण सो चक्की सम्भूयगुणगणे हिट्ठो / कयमुणिपायपणामो जहागय पडिगओ झति // 9 // चक्किस्म इत्थिरयणे नमिरे पयकमलअलयफासेण / विसयामिसम्मि गिद्वी संभूयमणमि संभूया // 10 // तीएवि वेयदिट्ठी हवा नियाणं करेइ सो तयणु / इमिणा तवेण इत्थीरयणं मह होज अन्नभवे // 11 // चित्तमुणिन्देण तओ चिट्ठादिट्ठीहि तस्स विनायं / इत्थिरयणोवलंभे करइ नियाणं तवेणेसो // 12 // संविग्गमणेणेवं भणिओ मा वच्छ ! तुच्छविसयाण / लोहेण हणसु दुलहं महप्पभावं तवचरणं // 13 // भवजलहितरणजाणं चरण कल्लाणसुरगिरिसमाणं / जं पुण कुणसि नियाणं तं वाणं सव्वदुक्खाणं // 14 // अपमत्तेण चरित्तं चिरकालं पालियं तए धीर! / तमणेण नियाणेणं सल्लिजइ दुइसल्लेणं // 15 // SA-%A4%AESA A5 239 //
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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