SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 246
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ // 233 // " वेउबियलद्धीए विरह रतिपापस्थाने ब्रह्मदत्त चक्रिवृत्तान्तः। 4%5C3% सुहं होइ // 4 // एवं साहा // 3 // मोहणसुहापवाडे चक्रवर्तिवत् / तथाहि जंबुद्दीवे दक्षिणभरहद्धे मज्झिमंमि खण्डम्मि / कम्पिल्लपुरे लच्छीनिलए पंचालदेसम्मि // 1 // होत्था उग्गपयासो चारसमो बमदत्तचक्कहरो / अञ्चन्तभोगकामी सामी छक्खण्डमरहस्स // 2 // वेउबियलद्धीए विरइयचउसट्ठीसहसमुत्तीवि / समसमयं रमणीण भोगेणुवसन्तमयणग्गी // 3 // मोहणसुहापवाहे इत्थीरयणमि देवयसणाहे / खीरोयरंमि अगाहे अवगाहे जइ सुहं होइ // 4 // एवं साहीणभोगे रइप्पसंगमि सहसमुहपसरे / नरयान्भासेऽविरया हवन्ति जीवा किमच्छरियं? // 5 // विसयसुहजलहिमज्झे हरि व हिययत्थचक्कवट्टिसिरी। चिट्ठइ बहुयं कालं पत्थो रइमोहनिदाए // 6 // माणवगनिहिदेवो तप्पुरओ नाडयंमि अन्नदिणे / उच्छालइ बहुरूवं कुसुमाणं कन्दुयमपुवं / / 7 // अह तमि विविहरूवे सुयन्धे कुसुमाण कन्दुए दिखे / चिन्तइ चक्की एवं कहिं ? मए दिट्ठपुवंति // 8 // कम्मखओवसमवसा तओ समुप्पनजाइसरणो सो / पेच्छह पुत्वभवोहं गच्छइ धरणिं गओ मुच्छं // 9 // विविहप्पयारसिओवयारमाहप्पलचेयनो। सिंहासणे निसनो विनत्तो पवरलोएणं // 10 // किं वायपित्तसंखोहहेउओ ? अहव अन्नकारणओ? / एसो मुच्छापवेसो सामि ! अकम्हा कहं जाओ? // 11 // पुत्वभवजियकम्माणुभावओ एस कोवि परिणामो / इइ जंपिऊण राया पढइ सिलोगस्स पुबद्धं // 12 // " आस्व दासौ मृगौ हंसौ मातं. गावमरौ तथा"॥ घोसावियं च रन्ना पूरइ जो उत्तरं सिलोगळ् / दाहिस्सं ससिणेहं रजद्धमसंसयं तस्स // 13 // सोऊणेवं लोओ अहोनिसं पढइ तं सिलोगई / परमत्थमयाणतो कोऊहलमित्तगयचित्तो // 14 // अह बहुदिणपजन्ते आरामे आरहट्ठिः एणेवं / गिजन्तं पुणरूत्तं मुणिणा सुणियं सिलोगद्धं // 15 // तो ईहापोहेणं मुणीसीहो मुणइ जाइसरणेणं / पुवभवे मुच्छाए NAGACHAR BI | |233 //
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy