________________ // 229 // 0 5619 विशुद्धहृदयाऽङ्गः केवलज्ञानप्राप्तिः पायन्ति दुन्दुहिजीवाणं अकया दिनं अमक्खाओ / जान लोगुत्त तबच्चरणं // 22 // गुरुकुलबासम्मि रओ विणयोवगओ सुयं अहिज्जन्तो। जन्तूण रक्खणोजयचित्तो अपमत्तया जुत्तो // 23 // गीयत्थतं पत्तो मेरूगिरिन्दो गुरूखमाहारो / निम्मलसंजममारो संविग्गो भावणासारो // 24 // उल्लसियजीवविरिओ अनदिणे खवगसेढिमारूढो। चउघाइकम्मघाए सो पावइ केवलं नाणं // 25 // देविन्ददाणविन्दा केवलमहिम करिन्ति साणन्दा / वायन्ति दुन्दुहिओ वरिसन्ति य कुसुमगन्धजलं // 26 / / उग्धोसन्ति य गयणे एयस्स मुणिस्स उवसमो कोवि / चिन्तामणि व दुल्लहो जीवाणं अकयसुकयाणं // 27 // अप्पेणं कालेणं अहो मुणिन्देण सुक्कझाणेण / इमिणा कुलिससमेणं दुकम्मगिरिणो लहुं दलिया // 28 // दिन्नं अब्मक्खाणं रूदेणं कूडकवडवयणेणं / सोमे इममि केवलसुहाणुभावं अहो पत्तं // 29 / / एस खमाहरचूडामणी मुणिन्दो सुमेरूगिरिगरूओ। जस्सि अब्भक्खाणं तिण व कल्लाणपरिणामं // 30 // रइए कश्चणकमले अंगरिसी केवली सुहासीणो। देवेहिं थुणिजन्तो पत्तो लोगुत्तरं लच्छिं // 31 // रूद्दो पुण लोएणं निन्दिजइ अलियदोसदाइत्ति / एसो अगिज्झनामो एस अभवो अदट्ठवो // 32 // जेणेरिसंमि सोमे अखंडवित्तमि कलुसवयणेण / कन्तिनिरोहो कीरह रूदेणं राहुरूद्देणं // 33 // सन्भूयंपि न दोसं वयन्ति कहिंपि सजणा लोए / जे पुण दोसमसन्तं भणन्ति ते इह महापावा // 34 // अब्भक्खाणेणेवं धिक्कारो होइ इहभवे चेव / परलोए पुण | दुग्गइपइसारो दुक्खभारो य // 35 // जे पुण विसुद्धचरिया अम्मक्खाणेवि सुद्धपरिणामा / रागद्दोसविप्पमुक्का सुकज्माण टू समारूढा // 36 / / केवलनाणसिरीए अलंकियो देवदाणवगणेहिं / अंगरिसीछचो इव तं वन्देजंति भत्तीए // 37 / / अभ्याख्यानकथानकं समाप्तम् / 1-ASCARKARKIRECAREOGANA -SCREEN4545 229 //