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________________ // 225 // -Е-Е परिणयनार्थमागता राजकन्या मुनिवरेण निषिद्धा। Е-4+4+4EE93 मेहुणसंसग्गीए अग्गीए सीलकाणणं भद्दे ! डझाइ सिवसुइफलयं खणेण चिरकालरूपि // 64 // मोहन्धाण जियाणं कामकहा होइ सुखहेउत्ति / जेण पुण अमूढहियया दुहहेऊ तेहि सा चत्ता // 65 // तम्हा अम्हसमीवे सिवबहूसंगमरयाण न पुणोषि / वत्तवं वयणमिणं नूणमभदंति नाऊणं // 66 // एवं निरीहवयणं सा पडिसिद्धा जणस्स पच्चक्खं / मुणिणा किं पवणेणं कणयगिरि चलइ पलएवि? // 67 // गंडीतिदुगजक्खो रिसिरूवं छाइऊण दुल्ललिओ। परिणेउ स्यणीए कीलइ विविहाहिं कीलाहिं // 68 // पच्चूसे जक्खेणं मुक्काइन्ती घरंमि नियपिऊणो / जणयह चिन्तं गरूयं कह कायवित्ति अहुणेसा // 69 // नाउं रनो चित्तं रुद्देण पुरोहिएण तो वुत्तं / रिसिपत्ती दायबा रिसिचत्ता माहणाणंति // 70 // तो झत्ति नरिन्देणं एवं कालोचियंति FI काऊण / साणन्देण वियन्ना सा रूहपुरोहियस्सेव // 71 // जक्खोवि मुणिं निम्मलगुणगणसम्पत्तिरंजिओ निचं / आराहा भत्तीए मबह सुकयत्थमप्पाणं // 72 // एवं मह वणगहणं एयस्स मुणिस्स पायचारेण / सुमणोवियासपुवं सिवसुहफलदायगं होही // 73 // अवरंमि दिणे पुट्ठो जक्खो अबरेहिं निद्धजक्खेहिं / पइदिवसं कीस तुमं न दीससे ? पेमपरओवि // 74 // तेणोतं अम्ह वणे मुणिवसहो खन्तिमारधुरधवलो / अपमत्तो ज्झाणडिओ णुत्तरगइगमणो अस्थि / / 75 // तस्साराहणनिरओ गुणमणिरोहणगिरिस्स पायाण / आसनमि निसनो निचं चिट्ठामि हिट्ठमणो // 76 // इयमणिए ते जक्खा आगन्तुणं धुणंति मुणिरायं / जंगमतित्थं दुलहं पावमलक्खालणं जम्हा // 77 // अम्हवणेवि मुणिन्दा संतित्ति सुरेहि जपिए जक्खो / सेहिं समं जा गच्छह ता पेच्छद ते विग्गहसत्ते // 78 // तो तेसिं सवेसि हरिकेसवलंमि मुणिवरे भत्ती / अयला अइसयगरूया सुरमिरिचूल व संजाया / / 79 / / अह पुत्रमासखवणो सो समणो जन्नवाडए जाइ / रूदपुरोहियसक्के HARS REKAR // 225 //
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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