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________________ जयन्तीप्रकरणप्रचिः / // 47 // // 48 // दन्तिदिओ तिगुत्ने उवस्सग्गपरिसहेहिं तवेतेयदिप्पंतो // 49 // विहरन्तो संपत्तो कमेण वाणारसीए नयरीए / // 50 // बलो मुनिनवरो जातः सातिशयगुणाद् निकंपो / चंदोद // 224 // भूतः। AAAAEXSASRAE5 // 52 // आगच्छइ पूहत्ता जक्खन्दित्ति पयक्विणं सहसा / सेवाकारी // 53 ॥जक्खोवि मुर्णि निचं आराहइ अतिहिड्डो / / 54 // रुट्ठो तीए उवरिं अवमन्नइ मुनिवरं तओ तेण / सद्धिं पाणि-ल ग्गहणं एयस्मा कारहस्सामि // 55 // एवं चिन्तिऊण जक्खेणाहिडिया विचिट्ठाजो / पकुणन्ती विलवन्ती अणप्पवसगा परं जाया // 56 // सोऊणेवं राया आदनो मन्ततन्तोवाएहिं / उवयारमपेच्छन्तो जावऽच्छइ खेयमावन्नो // 57 / / ता जक्खे मन्बइ पयडीहोऊण वत्तवयणेण / एइए मुणिराओ गविटाए अवमाओ / / 58 // ता जइ एयं परिणइ मुश्चामि न अन्नहा इमं राय / देवाणं वन्दणिजो दुगंच्छिओ जेण एस रिसी // 59 // जीवउ एसति निवो पडिवजह जक्खरायवयणपि / पेसइ य विवाहत्थं तत्थ तयं सवसामगि // 60 // तो भद्दरायसुया विवाहसामग्गिसंजुया तत्थ / पत्ता विनवड मुणी जक्खाएसेण पणयपरा // 61 / गुणमणिसायर मुणिवर मह पाणि पाणिणा इमं गिण्ह / एसा जक्खाएसा सभागया मह विवाहत्थं // 62 // विसयसुहविरचाणं न भचारीण मुणिवराणेसा / कप्पइ कहावि काउं पाणिग्गहणं कओ? भद्दे ! // 63 // 2 // 224 //
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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