________________ // 223 // कलहप्पिओ एगागी चिट्ठइ दूरडिओ चेव // 31 // अ विलसमाणजणमझे। मारिजंत निग्घिण- सविषसर्पलोण विसनिहाणं ति // 32 // तंमि य मयंमि सप्पे सप्पसरं कीलमाणलोयस्स / आसन्नेणं इंतो हि पुलगो निविसोकदर्थना तहउ // 33 // दिवो तेण बलेण परिभवपत्तेण सयलवजेण / चिंतियमणेण तत्तो जीवो दुहिओ सकम्मेणं // 34 // तह | दृष्ट्वा बलहै। अस अही अहिओ सविसं स निहओ मह / अह दूरीकओ जणेणं अहेउकलहप्पिओ जेण // 35 // एसो पुणस्य क्लेश हिंडलगो न हओ लोहिं निविसो जेण / तो जइ अहं कलहो हणामि सुभगु च्चिय भवामि // 36 // तो लोयाण प्रियतात्यान दोसो कोवाणं उवरि कीरए रोसो। एसो अमग्गचारी अप्प च्चिय अप्पणो वहरी // 37 // हेयन्वो ता कलहो कलहो- गेसम्यग्वियसमुज्जलं मणं काउं / दुवयणविसचाएणं अमयं चिय पज्झरेयत्वं // 38 // दोसावसारणेणवि तावकरो दिणयरो न चारणा। चक्खुस्सो / दोसायरोवि चंदो तावहरो जणमणाणंदो // 39 // ता इत्तो मह कलहो कहमवि काउं न जुजइ सयावि / किंतु खमा खमियबा महुरं वयणं च वत्तवं // 40 // दुपयचउप्पयभार सहइ खमा जेण तेण सबेहिं / गोत्तेहिं // 41 // // 42 // // 43 // // 44 // जह रायरिसिवियन चिनं चारित्तमुत्तमं किंतु / जाइमएण जाओ मायंगोऽहं महादुभगो // 45 // // 46 // // 223 // x