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________________ 56 जयन्ती प्रकरणइतिः / // 222 // ISCA स्सवि अहिलसिया दुग्गई मुणिवरस्स / सा मह होही बहुहा दुहहेऊ नत्थि सन्देहो // 15 // चिन्तिजइ दुक्खं परस्स तं अप्पणो हवइ चेव / एवं जयप्पसिद्धं सच्चं चिय एस्थ संजायं // 16 // एसो महप्पभावो तवभेएणं रवि व दिप्पन्तो। कलुसजडासयसोसे वियरिओ संवरभरमज्झं // 17 // एवं लद्धविवेओ पुरोहिओ वन्दिऊण रायरिसिं / विणयपणउत्तमंगो खामेइ तिविहेण भावेण // 18 // तो तेण मुणिन्देणं, धम्मोवएसेण कुलिसगरिमेण / मित्तूणं मोहगिरिं संठविओ सिवपहे सम्मं // 19 // पडिवनचरणकरणो पुरोहिओ मुणिवरो महासत्तो / गीयत्थो संविग्गो उविग्गो भवनिवासाओ // 20 // सुइरं काऊण तवं उग्गं जं दुद्रुकम्मनिज्जरणं / संसारजलहितरणं सिवपुरवररजवित्थरणं // 21 // बन्धित्तु नीयगुत्तं जाइमएणं निकाइयं किन्तु / अणसणविहिणा एसो पत्तो वेमाणियसुरत्तं // 22 // चविऊण तओ गंगातीरे मायंगघरणिउयरम्मि / पुत्तत्ताए जाओ दुकम्मपरिणामलेसेण // 23 // तस्सणुभावा पेच्छइ सुविणे वियसन्तमंजरिसणाहं / सहयारं रमणीयं घरंगणे तयणु मायंगी / / 24 // पडिबुद्धा परितुट्ठा साहइ दइयस्स सोवि हिट्ठमणो / भणइ पिए ! तुज्झ सुओ भावी सहयारसारिच्छो // 25 // जाओ कालकमेणं बलामिहाणो विवढमाणोऽथ / जं बालभावसुलहं तं चवलत्तं परं पत्तो // 26 // अन्नेसि डिंभाणं मज्झे कलहं दायइ अइमत्तं / निदुरपहारदुवयणदोहग्गकलंकिओ जाओ // 27 // उप्पायइ पइदिवसं दुक्खं पियराण अवरलोएहिं / विविहोपालंभेहिं दिखते // 28 // खरमहुरेहिपि सिक्खविजंतो अक्खलिओ दुल्ललिओ उव्वेयणिज्जो हवइ ऽणओ // 29 / / अह तारून्ने पत्ते वसन्तभासे विलाससुहयंमि / विविहप्पयारचच्चरिपमुहविणोए पयट्टन्ते // 30 // न लहइ एस पवेसं कथवि दुहओ विलासिजणमज्झे / | गृहीत... दीक्षः पुरोहितो जातिमदेन नीचगोत्रं |बद्भवा चा|ण्डालकुले बलो जाता क्लेशप्रियश्च / RROCED1%
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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