________________ // 221 // -A-CA EGORIECCHOKARI विरोध, लमते सम्यमऽवबोध, विदधानः सर्वानवनिरोध, स हरिकेशिवलमुनीन्द्र इव देवानामपि वन्दनीयपादारविन्दो जगत्त्रयानन्दो भवति / तथाहि महुराए नयरीर संखनरिन्दो मुणिन्दधम्मकहं / सोऊणं संविग्गो पवजारजमल्लीणो // 1 // गीयत्थो संजाओ कयपरिकम्मो गुरूहि गुनाओ / एगागी विहरन्तो गयउरनयरम्मि सम्पत्तो // 2 // अह वढन्ते गिम्हे दिणयरकरनियरताविए लोए / मज्झन्हे भिक्खट्ठा पविस्सइ नयरमझमि // 3 // सत्तावलंबनिमित्तं पुरोहियं सोमदेवनामाणं / पुच्छह मग्गं सो विय चिन्तइ हासप्पओगेण // 4 // पेच्छामि ताव एवं समणं हुयवहपहेण गच्छन्तं / तावेण उप्फिडन्तं वयणं हहाहेत्ति | जम्पन्तं // 5 // तो कहइ बहलधूलीपडलं मग्गं जलन्तजलणं व / गच्छइ तेण मुणिन्दो अकुणन्तो नेव गइमेयं // 6 // पेच्छन्तो विम्हइओ पुरोहिओ सोमदेवनामा सो। चिन्तइ किमेस तावं सहइ मुणी ? नस्थि वा तावो 1 // 7 // वीमंसागय. चित्तो अणुगच्छन्तो पुरोहिओ मग्गं / मुणिरायपायसंगमपसायसीयं पलोएइ // 8 // तो अप्पाणं निन्दइ एवं गुणरयण रोहणगिरिस्स / एयस्स मए वसणं अन्नाणन्धेण अहिलसियं // 9 // एसो हु रिसी तित्थं अइसयखीरोयरोहिणीरमणो / एयमिवि कलुसं चिय मज्झ मणो राहुमुत्ति छ / / 10 / / कूरत्तेणं छित्तं लित्तं चिय पापपंकपडलेण / सुज्झिस्सइ जइ जंगमतित्थे एयंमि सुपसन्ने // 11 // अन्नाणं चिय कळं अन्तरकोहाइससुसंघाओ / जेणावरिया लोया हियमहियं वा न याणन्ति // 12 // एसो मुणी महप्पा हीही चिन्तामणी अवन्नाओ / पावमझ्णा मए जो भवदोग, हरइ सहसा // 13 // एयंमि पहे ताचो परमं जो चिन्तिओ मुणिवरस्स / सो मह पच्छायाने हीही पावस्स संजाओ॥१४॥ जा सुगइपवन हस्तिशिमुनिवरदृष्टान्ते पुरोहितसोमस्य स्वकृतदोषपश्चातापः। IS