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________________ NA // 31 // जयन्ती प्रकरणइतिः / सुवर्णविषयक विचारणा * कपिलस्य / 204 // SAMACHAR विचिंतेइ / एयाए आगिईए पुरिसो // 32 // वियास चंदोदएण। कविलेण उल्लासिओ है ससत्तो पसायजलही निरिंदस्स // 33 // वियरामि सुवनं तुह मग्गसु तत्तो विवेयमणियंमि / कविलेणुवं परिभाविऊण सम्म कहिस्सामि // 34 // रायावि भणइ // 35 // णतओ विचिंतइ कविलोवि तत्थ गंतूण | वसुपसरेण राया तूरइ किमच्छरियं ? // 36 // तो किं सुवनसए मणोरहो // 37 // एएणं सोणं मज्झवि कति होउ सहस्सं मे / अहवा वासग्गासाइ पुजए किं सहस्सेणं // 38 // मग्गामि तओ लक्खं दुरंतदारिददारुकरवचं / पुत्वाइजम्मपत्वसु सुपावलच्छीकरणसत्तं // 39 // विहलियसयणुद्धारो मग्गणगणदाणकित्तिवित्थारो / सुयणाण विहवसारो अहव न लक्खेण उवयारो // 40 // नमो अत्थोवाओ निवो य एसो अइव सुपसाओ / तो जणियहरिसकोडिं सुवन्नकोडिंपि मग्गामि // 41 // दुभिक्खरोय रायग्गहविग्गहपमुहकञ्जनिवहेसु / सावि ओवभुजमाणा अप्पपमाणा हवइ अहवा // 42 // तदुवरि मग्गिजंतं सयं सहस्सं च लक्खमवि थोवं / जइवा लाहे लोहो बड्डइ रुद्दो पिसाओ व // 43 // तदुक्तं-"जहा लाहो तहा लोहो लाहा लोहो पवढह / दोमासाकयं कम्मं कोडीएवि न निट्ठियं // 44 // संसारंमि समुद्दे सुमाणुसत्तंमि सुकयफलयंमि / लोहपबंधे हवईह सुजाणपत्तेवि य विणासो // 45 // सिवपुरवरपहरोहो लोहो अपलोवि मिजए सहसा / गुत्तेहिं मुणिंदेहिं अइगुरुसंतोसलिसेन // 46 // संतोससुहासित्ता सत्ता *%AA-%CCRA मा॥२०४॥
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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