________________ जयन्ती प्रकरणपतिः / शुद्धभावनया केवलज्ञानप्राप्ती देवकृता स्तुतिधर्मदेशना च कृता। // 198 // 645464RECX जम कहिउ न सहिउँ न चेव पच्छाइयं तरह // 88 // मह सुब्वयगणिणीए कप्पलयाएपि पायच्छायाए / चिट्ठन्तीए तावो जं जाओ तमिह अच्छरियं / / 89 / / अहवा मणसुद्धीए सिद्धी जीवाण निच्छयनएण / एवं जाणन्तीए महऽदृज्माणस्स को समओ? // 9 // तो धम्मज्झाणससिमण्डलेण जुन्हाए सुकलेसाए / पसमइ तावो सहसा बढइ सुकयऽनवो तीए // 91 // इह पुण दुक्खमिणं चिय जं मह दुक्कम्मसम्पओगेण / जाया जिणिन्दधम्मे खिसा अनाणलोगम्मि // 92 // जिणसासणखिसाए भमन्ति संसारसायरे घोरे / जीवा लहन्ति न पुणो कहवि जंबोहियोहित्थं // 93 // सुगहियनामधेया ते जे कम्मक्खएण सिद्धिपुरि / पत्ता जं जीवाणं न कारणं कम्मबन्धस्स // 94 // इचाइभावणाए वणराईए अपुवकरणेणं / कुसुमुजलेण तीए दूरगओ परमलुग्गारो // 95 / / तो सा खवगस्सेणीगंगावेणीए घायकम्ममलं / पक्खालिऊण पावइ महासई केवलन्नाणं // 96 // उप्पमम्मि अणन्ते केवलनाणे समागया देवा / वायन्ति दुन्दुहीओ वासन्ति य कुसुमभरवासं // 97 / / चेलुक्खेवं गयणे करिन्ति आसीसमुहलमुहकमला / सवंगसुन्दरीए थुणन्ति रहसेण गुणनिवहं // 98 // तहाहि-भयवइ तुमए निहओ खरतरवास्सुिदिढघाएण / मोहो महानरिन्दो दुजोहो सुरवईणपि // 99 // तह पंचिंदियदंती अहो अहो सुकजाणसंकन्ती / तह भगवई गुणवन्ती मुत्ताहलमालसमकन्ती // 200 / दुञ्जणमुहधणुनिग्गयदबयणबाणेहिं दस्सहतरेहिं / वजमय वन भिन्न भगवइ ! तुज्झ खमाकवयं // 1 // सिवपुरपहमि तुह पयचारो अइकढिणचारूचरणाए / तह जाओ जह मंजिओ जणदुवयणकट्ठउक्केरो // 2 // अहुणा धम्मकहाए केवलनाणकमंडलपहाए / अम्हाणं करुणाए सिवपुरमग्गं पयासेहि // 3 // केवलमहिमं काउं भत्तीए देवदाणवमणेहिं / किच्चा गुणसंथवणं इय भणिए