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________________ बयन्ती प्रकरणकृतिः / // 196 // CHUODIACANCIENCODA जइ एइ गिहं होइ पडिवाडी (सूत्रार्थवाचना) // 155 // तुम्हें अवरोहेणं एहि सवंगसुन्दरी गेहे / दाऊणं परिवाडि साकेतपुरे सिग्धं वसहीए आयाही // 156 // तत्तो पवित्तिणीए वयणेणं जाइ ताण गेहमि। पइदियहं परिवाडि देइ य तासि विचरणं, सिणेहेण // 157 // अह चित्तसालियाए अन्नदिणे जाव दाउं परिवाडि / सा अजा वच्चिस्सइ कन्तिमईए तओ वुत्ता तत्र // 158 // वच्चह भत्तं पित्तुं उववासेणं जओ ठिया कल्ले / तो निबन्धं नाउं अप्पबीया अजा तओ भणिया // 159 // पूर्वभवनागिण्हाहि तुमं किंचिवि ठाइस्समहं तु चित्तसालीए / सवंगसुन्दरीए इय भणिया जाइ सा अजा // 160 // जावच्छइ सा तत्थ जाययोय हत्थं रखिजसुत्ति वयणेण / पुत्वभवे जं कम्मं समज्जियं तमुइयं सहसा // 161 // तो ताण पीइविहडणकोऊहलिएण वन्तर- | धर्मप्राप्तेसुरेणं / चित्ताओ उयरन्तो तीए उवदंसिओ मोरो // 162 // तेण य ओयनेणं गिलिओ पडलीए संठिओ हारो / भित्तीए निविडा चित्तगओवि पुणोवि देवाणुभावेण // 163 // तो चिन्तइ विम्हहया वयणी सवंगसुन्दरी एवं / नय दि8 नेव प्रीतिः, पूर्वसुयं एवं अचभुयं चरियं // 64 // अहवा-पुडा पर्वपि जले तरह सिला हुयवहो जले जलइ। तं नस्थि विक संविहाणं संसारे जन्न संभवइ // 65 // किंतु इमं महकम्मं पुत्वभवे कहवि जं मए बद्धं / तमिह वियम्भइ अन्नह कहं ? मए म्मोदयादीसए वियणे // 66 // एवं सा चिन्तन्ती बीयाए साहूणीए आहुया / गन्तूणं वसहीए पवित्तिणीए कहइ सई // 67 // *दाश्चर्य दृष्टं तीए भणियं अजे जम्मन्तरकम्मविलसियं किंपि / ता सहियवं तुमए अवेइए नस्थि मुक्खुत्ति // 68 // उक्तं च-" सहो च तया / पुवकयाण कम्माणं पावए फलविवागं / अवराहेसु गुणेसु य निमित्तमित्तं परो होइ" // 69 / / लोगो खिसं काही तुमए 4 // 196 // रोसो चेव न कायद्यो / तवनियमे अ जुत्ता विसहिज परीसहं एयं // 170 // एवं पविचिणीए वयणसुहासारिणीए सा |
SR No.600402
Book TitleJayanti Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalayprabhsuri, Vijayakumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1950
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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